स्वस्थ शरीर के लिए योग बेहद लाभदायक होता है। इससे शरीर सुडौल, मजबूत और लचीला बनता है। इसके अलावा नियमित रूप से योगाभ्यास करने से तनाव से छुटकारा मिलता है और कई रोगों से बचा जा सकता है। आज हम आपको जानुशिरासन के बारे में बता रहे हैं, जिसे महामुद्रा भी कह सकते हैं। जानु का अर्थ है ‘घुटना’ इस आसन में अपने सिर को अपने घुटने से सटाया जाता है इसलिए इस आसन का नाम ‘जानुशिरासन’ है। इस योग आसन के जरिए पेट की कई समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके नियमित अभ्यास से पाचन शक्ति दुरुस्त होती है। आइए जानते हैं जानुशिरासन की विधि और इसके लाभ।

ऐसे करें जानुशिरासन : इस आसन को करन के लिए सबसे पहले जमीन पर चटाई बिछाकर दंडासन में बैठ जाएं। अब दाएं पैर को मोड़कर पंजे को बाईं जांघों से सटाकर रखें। इसके बाद दोनों हाथों से बाएं पैर के पंजे या अंगूठे को पकड़ कर श्वास बाहर निकालकर सिर को घुटने से लगाएं। इस स्थिति में थोड़ी देर रुकने के बाद सांस अंदर लेते हुए ऊपर उठें। अब इसी क्रिया को बाएं पैर से भी दोहराएं। शुरुआत में इस आसन का अभ्यास 5 से 7 बार करें।

जानुशिरासन के लाभ-

– इस आसन का लगातार अभ्यास करने से आपके घुटने, पीठ, कमर, टांगें इत्यादि भाग ताकतवर बनकर हमारी नसों और पेशियों को मजबूत बना देता है।

– यह आसन मधुमेह जैसे रोग को ठीक करता ही है साथ ही साइटिका जैसे दर्द से मुक्ति दिला सकता है।

– जानुशिरासन के अभ्यास से आमाशय के रोग को दूर करके हमारी पाचन शक्ति को बढ़ा देता है।

– इस आसन का नियमित रूप से प्रयोग करने से रीढ़ की हड्डी में लोचदार और मजबूत बन जाती है।

– जो लोग यकृत और आतों की परेशानी से जूझ रहे हैं उनके लिए यह आसन बेहद लाभकारी होता है।

– बढ़ते मोटापे से निजात पाने के लिए भी जानुशिरासन फायदेमंद होता है।