गर्भावस्था की शुरुआती अवस्था में किसी भी कारण से भ्रूण के नष्ट होने को गर्भपात कहते हैं। शुरू में गर्भपात के कारणों का कई बार पता भी नहीं चलता और गर्भावस्था के पहले 13 सप्ताह के दौरान गर्भपात सबसे आम है। किसी भी महिला के जीवन में गर्भपात भावनात्मक रूप से बहुत व्यथित करने वाली घड़ी हो सकती है। गर्भपात की वजह से महिलाओं को शारीरिक स्तर पर कई तरह की परेशानियों का सामना करना है तो वह मानसिक रूप से भी दु;खी होती है। ज्यादातर महिलाओं को असुरक्षित गर्भपात के बारे में कोई जानकारी नहीं होती। यहां तक कि उन्हें गर्भपात के बाद होने वाली दिक्कतों का भी पता नहीं होता। आइए आज हम आपको गर्भपात के कारण और इसके खतरे से बचने के उपायों के बारे में बताते हैं।

आखिर क्यों होता है गर्भपात: शरीर में पाई जाने वाली कोशिकाओं में कुछ गुणसूत्र होते हैं, जिनमें जीन होतें हैं। हर कोशिका में 23 गुणसूत्रों के जोड़े होते हैं, इनकी कुल संख्या 46 होती है। प्रजनन की प्रकिया के दौरान जब शुक्राणु अंडकोष में अण्डों से मिलते हैं तब दो तरह के गुणसूत्र आपस में मिलतें हैं। जब भी इनकी संख्या सामान्य से ज्यादा या कम रह जाती है तब गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। सही समय पर उपचार नही मिलने से प्रसव के समय या उससे पहले गर्भपात होने का खतरा होता है। शुरुआती गर्भपातों की तुलना में बाद में गर्भपात होने की संभावना काफी कम होती है। ऐसा करीब दो प्रतिशत गर्भावस्थाओं में ही होता है। बाद के गर्भपात का सहन करना काफी कठिन हो सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, महिलायों के गर्भावस्था के बारे में पता होने से पहले ही गर्भपात हो जाता है।

गर्भपात से बचने के उपाय: गर्भपात कई कारण होते हैं लेकिन अगर थोड़ी सी सावधानी बरती जाए तो इस समस्या से बचा भी जा सकता है। हाई ब्‍लड प्रेशर, डायबिटीज, किडनी समस्‍या यूट्रस में असामान्‍यता होना गर्भपात के लक्षण होते हैं। अगर गर्भावस्था सुनिश्चित हो गई है और इसके बाद ब्लीडिंग की समस्या हो रही है तो यह गर्भपात का लक्षण हो सकता है। तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और इसके बारे में बताएं।

– अपनी सेहत का खास खयाल रखें। खाने में पौष्टिक आहर लें जैसे आयरन, फोलिक एसिड आदि। इन चीजों के सेवन से महिलाओं के शरीर में रक्त की कमी नहीं होती है।
– व्यायाम करें और धूम्रपान व एल्कोहल के सेवन से बचें।
– अगर आपको गर्भावस्था के दौरान किसी प्रकार की स्वास्थय समस्या है तो तुंरत डॉक्टर से मिलें और इसके बारे में बात करें और उचित इलाज लें।
– गर्भावस्था के दौरान कैफीन के अत्यधिक सेवन से बचना चाहिए।
– अगर आप वर्किंग है तो बहुत देर तक अपनी सीट पर ना बैठे रहें। यह बहुत थकान भरा हो सकता है। बीच-बीच में वॉक जरूर करना चाहिए।