ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी लेखा दिव्येश्वरी देवी (शादी से पहले का नाम) का जन्म नेपाल के राज परिवार में हुआ था। साल 1941 में लेखा दिव्येश्वरी लखनऊ में अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के लिए आई थीं। लखनऊ के आईटी कॉलेज में उन्हें दाखिला भी मिल गया था। लेकिन यहां सिविल सर्वेंट से उनकी प्रेम कहानी शुरू हो गई थी। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राशिद किदवई अपनी किताब ‘द हाउस ऑफ सिंधियाज: ए सागा ऑफ पावर, पॉलिटिक्स एंड इंट्रिग’ में इसका विस्तार से जिक्र किया है।

किदवई लिखते हैं, जब लेखा कॉलेज में पढ़ाई कर रही थीं तो भारत में आजादी के लिए संघर्ष भी चरम पर था। लेखा को महात्मा गांधी के अहिंसा आंदोलन में कोई दिलचस्पी नहीं थीं बल्कि वो अपना रोल मॉडल सुभाष चंद्र बोस को मानती थीं। लेखा दिव्येश्वरी इस दौरान युवा थीं और उनके प्रेमी का नाम था बृज बिहारी सिंह। बृज इंडियन सिविल सर्विस ऑफिसर था। लेखा अपने पिता और सौतेली मां के साथ लखनऊ आई थीं और यहीं उनकी पहली बार मुलाकात बृज बिहारी सिंह से हुई थी।

लेखा को लिखा था 7 पन्नों का प्रेम पत्र: बृज बिहारी सिंह को लेखा से पहली नज़र में प्यार हो गया था। वहीं, लेखा भी उसके साथ एक बार पार्क में लगे संग्रहालय को देखने गई थीं। यहां वह बृज से उत्सुकता से बात कर रही थीं। लेखा ने खुद इस बात को स्वीकार किया था कि बृज बिहारी उससे बहुत प्यार करता था। बृज बिहारी सिंह अक्सर लेखा की काफी तारीफ किया करता था। बृज बिहारी सिंह ने इसी क्रम में लेखा दिव्येश्वरी के पिता को उनकी बेटी के बारे में अपने दिल की सारी बातें कह दीं।

लेखा दिव्येश्वरी के पिता ने बृज बिहारी से बेहद शांत लहजे में कहा था कि इसके लिए तुम्हें उससे (लेखा) ही बात करनी चाहिए। सिंह ने लेखा के लिए सात पन्ने का प्रेम पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने लेखा की क्वालिटी के बारे में लिखा और पूरा जीवन साथ बिताने के लिए प्रस्ताव भी भेज दिया। हालांकि ये प्रेम अपने अंतिम पड़ाव तक नहीं पहुंच पाया और किसी कारण से लेखा और बृज की शादी नहीं हो पाई। जबकि लेखा यानी राजमाता विजयाराजे सिंधिया और उनके पिता इसके लिए राज़ी हो गए थे। बाद में घर में काम करने वाली नौकरानी के कत्ल के इल्जाम में बृज बिहारी सिंह को 6 साल की जेल भी हो गई थी।