विजयाराजे सिंधिया की शादी ग्वालियर के महाराज जीवाजी राव से हुई थी। जीवाजी राव से पहले विजयाराजे के लिए उनके पिता ने कई लड़के देखे थे। लेकिन एक बार विजयाराजे की शादी को लेकर नौकरों ने झूठी अफवाह फैला दी थी, जिसके बाद उनकी दादी ने केस करने के लिए वकील तक बुला लिए थे। विजयाराजे ने इसका जिक्र अपनी जीवनी ‘द लास्ट महारानी ऑफ ग्वालियर’ में किया था।
पिता की जानकारी से फैली अफवाह: विजयाराजे लिखती हैं, मेरे पिता की दोस्त की सलाह पर मेरा एडमिशन एनी बेसेंट के बनारस स्थित बेसंट वुमन कॉलेज में करवा दिया गया था। मेरी दादी को शायद ये बिल्कुल पसंद नहीं आता इसलिए मैंने अपने पिता के साथ झांसी में ही रुकने का फैसला किया। कॉलेज शुरू हो गए और मैं अपने रिजल्ट का इंतजार करने लगी। रिजल्ट अच्छा आया और बनारस में मेरा एडमिशन भी पक्का हो गया। मैं अपने साथ मेड या किसी नौकर को नहीं चाहती थी।
बकौल विजयाराजे, मैंने मेड और नौकरों को कुछ घंटे पहले ही झांसी से भेज दिया क्योंकि मैं अपने डिजाइनर कपड़े काले ट्रंक में रखकर बनारस लेकर जाना चाहती थी। मेरे साथ पिता का कजिन बनारस जा रहा था। हालांकि मेरे पिता साथ नहीं आए थे और वह स्टेशन से ही वापस चले गए थे। उन्होंने सोचा कि घर के नौकरों को ये कहना ठीक रहेगा कि मैं भी बनारस चला गया हूं और वो सभी वापस सागर लौट सकते हैं।
ड्रेस देखकर चौंक गई थीं लड़कियां: विजयाराजे सिंधिया आगे लिखती हैं, मेरे पिता ने अपने हिसाब से सोचा और नौकरों की सोच उस समय के हिसाब से थी। ऐसे में मेरी ‘ज़मींदार’ के बेटे से शादी की चर्चा शुरू हो गई। उन्हें लगा कि मेरे पिता ने चुपके से मुझे पति के घर भेज दिया है और इसके बारे में किसी को खबर तक नहीं दी। सभी नौकरों ने जाकर ये बात मेरी दादी से कह दी। दादी को लगा कि पिता ने मुझे मोटे पैसे लेकर बेच दिया है। दादी ने बिना कुछ सोचे और समझे वकील बुला लिए और अपहरण का केस दर्ज करवाने का फैसला किया। लेकिन इस बीच उन्हें मेरा पत्र मिला।
इस पत्र का जिक्र करते हुए विजयराजे ने लिखा था, यह बेहद भावुक पत्र था और इसे लिखते हुए मैं खुद भी भावुक हो गई थी। मेरे इस पत्र ने पिता और नौकरों समेत सबको बचा लिया। शुरुआत के दिनों में तो मेरे पास बिल्कुल भी खाली समय नहीं होता था। मेरे पिता भी डिप्टी कलेक्टर थे तो जब मैंने अपना काला ट्रंक खोला तो मेरे ड्रेस देखकर वहां मौजूद लड़कियां भी चौंक गई थीं। क्योंकि उसमें बेहद डिजाइनर ड्रेस थीं।