जनसत्ता संवाद
जैविक खाद्य पदार्थों के बारे में एक नए शोध से कई रोचक जानकारियां सामने आई हैं। दो देशों के जाने-माने संस्थानों ने मिलकर शोध किया है, जिसमें यह बात सामने आई है कि जैविक भोजन से कई गंभीर बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है। कुछ खास तरह के कैंसर का खतरा 25 फीसद तक घट जाता है। पांच साल तक दोनों देशों के 70 हजार लोगों पर शोध किया गया। जैविक खाद्यों की दूध से लेकर चॉकलेट और वाइन तक 16 श्रेणियों का परीक्षण किया गया। फ्रांस के ‘सेंटर फॉर रिसर्च इन एपिडेमियोलॉजी एंड स्टेटिस्टिक्स’ और अमेरिका के ‘हॉर्वर्ड टीएच चान स्कूल आॅफ पब्लिक हेल्थ’ ने लोगों पर जैविक खाद्य पदार्थों के असर पर शोध किया। शोध के मुताबिक, जैविक खाद्य के इस्तेमाल से स्तन कैंसर, प्रॉस्टेट और कोलोरेक्टल कैंसर के अलावा लिम्फोमा (सफेद रक्त कोशिकाओं का कैंसर) समेत 70 से ज्यादा गंभीर बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है।

दोनों संस्थानों का शोध ‘जामा इंटरनल मेडिसन जर्नल’ में प्रकाशित हुआ है। शोध के मुताबिक, जैविक फल-सब्जियों और खाने-पीने की दूसरी चीजों में कीटनाशक और दूसरे हानिकारक रसायनों की मात्रा नहीं होती है, इसलिए इनका सेवन कैंसर के खतरे को कम कर देता है। खेतों में उपज बढ़ाने के लिए कई रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का इस्तेमाल होता है। लेकिन जैविक खेती में रसायनों का इस्तेमाल नहीं होता। पिछले कुछ साल में दुनिया भर में लोगों का रुझान ऐसे खाद्य पदार्थों की ओर तेजी से बढ़ा है। अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में कीमत ज्यादा होने के बाद भी ज्यादातर लोग इसलिए जैविक खाद्य पदार्थों की ओर रुख कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें भरोसा है कि इनके सेवन से सेहत को फायदा होता है।

इंग्लैंड की ‘इंटरनेशनल एजंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर’ ने इनमें से ग्लाइफोजेट, मेलाथियान और डायजिनॉन को कैंसर का कारक माना है। इसी तरह कुछ रसायन एंडोक्राइन पर खराब असर डालने वाले होते हैं और एस्ट्रोजेन हार्मोन की तरह काम करते हुए प्रतीत होते हैं। इसलिए इन्हें स्तन कैंसर का खतरा बढ़ाने वाला माना जाता है। रसायनों के खतरों को देखते हुए कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि जैविक खाद्य खुद सीधे-सीधे कोई लाभ ना भी पहुंचाए, तब भी यह कई घातक रसायनों से शरीर को बचाने में मददगार होता है। ऐसे में खुद-ब-खुद कई गंभीर बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।

‘हॉर्वर्ड टीएच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ’ के डॉ. फ्रैंक बी हू ने कहा, ‘प्रायोगिक दृष्टि से देखें तो अध्ययनों के नतीजे प्रारंभिक स्तर के हैं। केवल इनके आधार पर लोगों को अपने खानपान का तरीका बदलने की सलाह नहीं दी जा सकती। फिलहाल यह कहा जा सकता है कि कैंसर से जो बचाव चाहते हैं, वे लोग फलों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें।’ डॉ. फ्रैंक ने इस संबंध में व्यापक शोध की जरूरत पर भी बल दिया। फ्रांस के संस्थान ‘सेंटर फॉर रिसर्च इन एपिडेमियोलॉजी एंड स्टेटिस्टिक्स’ की शोधकर्ता जूलिया बॉडी ने कहा कि हमारा अनुमान था कि कैंसर का खतरा जैविक खानपान से कम हो जाता है, लेकिन इतने बेहतर असर की हमने उम्मीद नहीं की थी। उन्होंने कहा कि यह अध्ययन कोई ठोस प्रमाण तो नहीं देता है, लेकिन इससे यह धारणा अवश्य मजबूत होती है कि ऐसा खानपान कैंसर से बचा सकता है।