आपने मास्टरबेशन के बारे में सुना होगा। हिंदी में इसे हस्तमैथुन कहते हैं। आमतौर पर इसे लेकर कई बातें होती हैं। समाज में इसे बहुत बुरा समझा जाता है। जैसे कोई पाप हो। कहते हैं कि लगातार इसे करने वाला ‘खत्म’ हो जाता है। उसका शरीर कमजोर पड़ जाता है। नपुंसकता आने लगती है। उम्र के साल कम हो जाते हैं। वगैरह-वगैरह, लेकिन यह सच नहीं है।

चूंकि हमारे यहां सेक्स-मास्टरबेशन जैसी चीजें टैबू हैं, इसलिए इन पर कम ही बात होती है। अगर होती भी है तो दबी जुबां में आधी-अधूरी और अज्ञानता से भरी। ऐसे में लोग सुनी-सुनाई बातों पर यकीन करने लगते हैं। वह मिथकों और भ्रांतियों को सच समझ बैठते हैं। जब होता कुछ और ही है। जी हां, मास्टरबेशन कोई पाप नहीं है। इससे न तो नपुंसकता आती है और न ही लिंग में तनाव कम होता है। उल्टा यह शरीर के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। अगर हिसाब से किया जाए तो।

शरीर में घट जाता है वीर्य?

मास्टरबेशन को लेकर सबसे ज्यादा यह सवाल किया जाता है- ‘क्या इससे नपुंसकता होती है?’ सही जवाब है- नहीं। जब कोई पुरुष मास्टरबेट करता है, तो अंत में उसका वीर्य स्खलित होता है। हां, यह बात अलग है कि जो लोग इसे आदत बना लेते हैं और रोजाना करते हैं। उनके शरीर में बाकी लोगों के मुकाबले वीर्य की मात्रा कम हो जाती है। लगातार मास्टरबेट करने से वीर्य की मात्रा खत्म हो जाती है, लिहाजा तब तक इसे नहीं करना चाहिए, जब तक उतनी मात्रा में यह शरीर में दोबारा नहीं तैयार हो जाता।

लिंग में आ जाता है तनाव, लेकिन…

वहीं, कई लोग मास्टरबेशन को एरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile Dysfunction) से जोड़ कर देखते हैं। वह सोचते हैं कि मास्टबेशन करने से उनके लिंग में तनाव नहीं होता है। यूं समझिए कि उनके लिंग का सही से उत्थान नहीं होता है। लेकिन सच इससे कोसों दूर है। मास्टरबेशन का इससे कोई लेना-देना नहीं है। अधिकतर मामलों में अव्यवस्थित जीवनशैली से ऐसा होता है। मसलन अधिक शराब का सेवन, असामान्य ब्ल्ड प्रेशर लेवल और कुछ अन्य डिसऑडर्स से यह स्थिति बन जाती है। जो शादीशुदा जोड़े अपने बीच नजदीकियां बढ़ाने और सेक्स से जुड़ी आदतों के बारे में समझने के लिए काउंसिलिंग लेते हैं, उनमें से कम ही इस बारे में शिकायत करते हैं।

समझें वीर्य और शुक्राणु में फर्क

अधिकतर लोगों को वीर्य (सीमेन) और शुक्राणु (स्पर्म) का अंतर नहीं पता होता। वह नहीं समझते कि शरीर में नए शुक्राणु बनने के लिए पुराने वालों का निकलना जरूरी होता है। इसका जरिया सेक्स या मास्टरबेशन हो सकता है। अगर ऐसा नहीं होता है, तो शरीर से यह शुक्राणु नींद के दौरान (Nocturnal Ejaculation) निकल जाते हैं। आम बोल-चाल में इसे नाइटफॉल या वेट ड्रीम के नाम से भी जाना जाता है। स्पष्ट है कि हम अपने शुक्राणुओं को सहेज के नहीं रख सकते। अंततः निचोड़ यही है कि कोई भी चीज हद से ज्यादा नुकसान करती है। वैसे ही मास्टबेशन भी है। कुछ मामलों में इसे करने के नतीजे बेहद अच्छे सामने आए हैं। तनाव को फुर्र करने से लेकर इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए यह काम आया है। हमें इसे पाप के तौर पर देखना बंद करना चाहिए।