International Yoga Day 2020: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day 2020) इस बार वैश्विक महामारी कोरोना के बीच मनाया जा रहा है। पूरी दुनिया में लाखों लोगों के लिए काल बना कोरोना लगातार बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना का कोई इलाज अबतक तलाशा नहीं गया है, लेकिन देखने में आया कि जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक शक्ति बेहतर रही है या वो दूसरे किसी गंभीर बीमार से ग्रस्त नहीं है, उन्होंने कोरोना को मात दी। तनाव, गलत खानपान, खराब जीवन शैली ने हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर किया है। वहीं, योगाभ्यास व यौगिक जीवनशैली शरीर की इस संजीवनी को सदा सक्रिय बनाए रखती है।
इस बार गुजरात सरकार की ओर से विश्व योग दिवस की थीम ही बन गई है – ‘योग करना है, कोरोना हराना है’। वहीं, केंद्र सरकार ने भी ऐलान किया है- “घर पर योग, परिवार के साथ योग”। यानी कोरोना काल में विश्व योग दिवस पर बाहर जाकर योग साधना में न जुड़ें बल्कि घर पर ही योग करें। आइये आपको बताते हैं कि कौन-कौन से आसन प्राणायाम या योग के दूसरे अभ्यास हैं, जिसे अपनाकर हम घर बैठे योग दिवस का भी आनंद ले सकते हैं और अपनी इम्युनिटी बढ़ाकर कोरोना के कहर से भी बचे रह सकते हैं…
1 – सूर्य नमस्कार व योगासन की स्ट्रेचिंग करेगा लिम्फ एक्टिव: शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता के तीन जरुरी अंग हैं- लिम्फ सिस्टम (Lymph System ) , थाइमस ग्लैंड और स्पलीन ( Spleen )। सबसे पहले लिम्फ सिस्टम को सारांश में समझें। लिम्फ हमारे इम्यून सेल्स यानी रोगप्रतिरोधक कोशिकाओं को शरीर में एक स्थान से दूसरे प्रभावित स्थान पर गमन की व्यवस्था करता है।
शरीर में जैसे रक्त के गमन के लिए ह्रदय प्रेशर देने का काम करता है, वैसा कोई विशेष अंग लिम्फ के गमन के लिए नहीं होता, लेकिन जब हम शरीर को स्ट्रेच करते हैं तो लिम्फ हरकत में आने लगता है और इस तरह वो संक्रमित इलाकों में पहुंचकर बाहरी वाइरस के खिलाफ अभियान चला पाता है। रिसर्च में देखा गया है कि सूर्य नमस्कार और दूसरे आसनों में जब हम ठहरते हैं तो शरीर डीप स्ट्रेचिंग को महसूस करता है और जो लिम्फ को एक्टिव करने में असरदार है।
2 – बैकबैंड रखेगा लंग्स-हार्ट बेहतर, इम्युनिटी को देगा बूस्ट: अब थाइमस ग्लैंड व स्पलीन को समझे। थाइमस ग्लैंड हमारे छाती के ऊपरी हिस्से के आस-पास जबकि स्पलीन बाईं ओर छाती के नीचे व पेट के बीच वाले हिस्से में मौजूद होता है। योग के बैकबैंड आसन जैसे भुजंगासन, धनुरासन, उष्ट्रासन , सुप्त बद्ध कोणासन , सेतुबंध आसन, चक्रासन दोनों अंगों को सेहतमंद रखते हैं। सेहतमंद थाइमस ग्लैंड संतुलित मात्रा में टी-सेल को पैदा करता है।
टी-सेल रोगप्रतिरोधक शक्ति का सबसे महत्वपूर्ण अंग की तरह काम कर शरीर में घुस आए वाइरस का काम तमाम करता है। वही स्पलीन रोगों से लड़ने की पूरी प्रक्रिया में क्वालिटी कंट्रोल पर फोकस करता है। स्पीलन RBC-(लाल रक्त कोशिकाएं) की मात्रा सुनिश्चित किए रखता है और WBC ( स्वेद रक्त कोशिकाएं ) का संग्रह कर वाइरस के खिलाफ लड़ाई में आक्रमक रोल अदा करता है। बैकबैंड के आसन वहीं लंग्स को मजबूती देता है जो कोरोना में सबसे ज्यादा बुरी तरफ प्रभावित होता है । इन बैकबैंड आसनों को इस क्रम में आप अभ्यास में ला सकते हैं।
नोट: ख्याल रहें कि सूर्य नमस्कार के बाद इन आसनों के क्रम को अपनी क्षमता मुताबिक अभ्यास में लाएं। बैकबैंड के सारे आसनों को करने के बाद प्रतिक्रिया आसन या काउंटर पोज के तौर पर शशांकासन कर आप कमर को सहज स्थिति में ला सकते हैं।
3 – प्राणायाम – तनाव और कोरोना पर शिकंजा: कोरोना काल में प्राणायाम की भूमिका ज्यादा बढ़ गई है। आप सुनते होंगे कोरोना इन्फेक्शन होने पर सबसे जटिल स्थिति आती है सांस लेने में। कोरोना का लोड जैसे-जैसे शरीर में बढ़ता जाता है, सांस की तकलीफ़ बढ़ती रहती है। स्थिति बुरी होने पर वेंटिलेटर लगाने की जरुरत आ पड़ती है ताकि ऑक्सीजन की कृत्रिम आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
प्राणायाम अभ्यास से हमारी सांस लेने की क्षमता बढ़ती है। साथ ही विपरीत स्थितियों में भी हम अपनी सांस की प्रक्रिया को बेहतर बनाए रखने का गुर सीखते हैं। इतना ही नहीं रिसर्च का मानना है नियमित प्राणायाम व कुम्भक ( प्राणायाम के दौरान कुछ वक्त सांस रोके रहने की प्रक्रिया ) आपकी रोगप्रतिरोधी क्षमता के मुख्य अंग WBC को ज्यादा सक्रिय किए रहता है।
सांस का सीधा संबंध हमारे मन से है, ऐसे में प्राणायाम की प्रक्रिया से हम तनाव को नियंत्रित कर पाते हैं। देखा गया है कि हर दिन बढ़ता तनाव हमारी इम्युनिटी को बुरी तरह से कमजोर करता है। कोरोना से पीड़ित लोगों के अनुभव में आया कि खासकर वशिष्ठ प्राणायाम, जिसे लेटकर किया जाता है , काफी कारगर रहा है।
डायफ्रॉमिक ब्रीदिंग होने की वजह से ये हमारी सांस लेने की क्षमता बढ़ता है, तनाव को मैनेज करता है और इसे सहजता से किया जा सकता है। इसके साथ ही अनुलोम विलोम प्राणायाम, भ्रामरी, उज्जयी और ऊंकार प्राणायाम कोरोना के खिलाफ संजीवनी की तरह काम करते हैं। ख्याल रहे कोरोना पीड़िता व्यक्ति, अस्थमा, ह्दय रोगी, सांस की दूसरे तकलीफ वाले रोगी कपालभाति व भस्त्रिका जैसे जल्दी जल्दी सांस लेने की प्रक्रिया से बचें।
4 – योगाभ्यास की समाप्ति पर ध्यान या शवासन: अभ्यास की समाप्ति योगनिद्रा जैसी साधना से करें। ख्याल रहे कि लॉकडाउन की स्थिति में हम ना सिर्फ घरों में बंद हैं, बल्कि कोरोना ने एक भय का वातावरण भी बनाया है। लगातार भय व घरों में बंद रहना अलग तरह के मनोवैज्ञानिक या मानसिक रोगों जैसे तनाव- डिप्रेशन को आमंत्रित कर रहा है। ऐसे में, योग ही एकमात्र उपाय दिख रहा है।
घर में ऑनलाइन योग का चुनाव करने से पहले ख्याल रहें कि आप जानकार लोगों के साथ अपनी अभ्यास की शुरुआत करें। यूट्यूब या दूसरे प्लेटफॉर्म पर कई वीडियो भ्रामक भी हो सकते हैं। सही चुनाव होने के बाद योग की हर प्रक्रिया को भली-भांति समझें और अपनी क्षमता व सुविधा को ध्यान में रखकर ही इनका अभ्यास करें।
(योग गुरु धीरज, अहमदाबाज में वशिष्ठ योगाश्रम के संचालक हैं।)