अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाएगा। सबसे पहले इस 1909 में मनाया गया था। लेकिन जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1975 में इसे एक थीम के साथ मनाना शुरू किया, जब जाकर इस दिन को आधारिक मान्यता मिली। बता दें कि इंटरनेशनल विमेंस की पहली थीम, ‘सेलीब्रेटिंग द पास्ट, प्लानिंग फ़ॉर द फ्यूचर’ थी। देशभर में विमेंस डे को महिलाओं के सम्मान के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा विमेंस डे महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक उपलब्धियों पर भी प्रकाश डालता है। जैसा कि हम जानते हैं आज के समय में महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं, लेकिन पहले ऐसा नहीं था।
8 मार्च को इंटरनेशनल विमेंस डे क्यों मनाते हैं? बता दें कि इंटरनेशनल विमेंस डे मनाने का आइडिया एक महिला ने ही दिया था, जिनका नाम ‘क्लारा जेटकिन’ था। क्लारा यूं तो मार्क्सवादी थिंकर और एक्टिविस्ट थीं, मगर महिलाओं के अधिकारों के सवाल पर भी हमेशा सक्रिय रहती थीं। जब क्लारा ने इस दिन को मनाने की सलाह दी गई थी तब कोई तारीख निश्चित नहीं थी। लेकिन 1917 में महिलाओं ने अपने हक की मांग के लिए हड़ताल किया तो सम्राट निकोलस पद छोड़ने के लिए मजबूत हो गए। यह घटना 23 फरवरी की थी, लेकिन ग्रेगोरियन कैलेंडर में यह दिन 8 मार्च था। तब से 8 मार्च को इंटरनेशनल विमेंस डे मनाया जाने लगा।
कैसे मनाया जाता है विमेंस डे? विमेंस डे के खास मौके पर घर हो या फिर ऑफिस, महिलाओं को खास महसूस करवाया जाता है। इसके अलावा कई जगहों पर विमेंस डे के मौके पर उन्हें फूल, गिफ्ट्स और चॉकलेट भी दिए जाते हैं। इतना ही नहीं उनके लिए पार्टी भी रखी जाती है।
विमेंस डे को मान्यता कब मिली? 1975 में, अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष को मान्यता प्राप्त हुई। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाना शुरू किया। 2014 तक, यह 100 से अधिक देशों में मनाया गया था। अर्जेंटीना में, इसदिन को बड़े पैमाने पर कमर्शियलाइज्ड किया गया, जिसमें पुरुषों ने महिलाओं के लिए फूल और अन्य उपहार खरीदे। चीन में, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस ब्यूटी इवेंट्स जैसे कि फैशन शो पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय महिला सम्मेलन कहां हुआ था? अमेरिका में पहली बार 1909 में सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका के द्वारा पूरे देश में एक साथ 28 फरवरी के दिन महिला दिवस मनाया गया। इसके बाद 1910 में, सोशलिस्ट इंटरनेशनल द्वारा कोपनहेगन में 28 फरवरी को महिला दिवस के रूप में मनाने को आधिकारिक मंजूरी मिली। 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में लाखों महिलाओं ने इस दिन रैलियां निकालकर इस बाबत जागरूकता फैलाई।

