हर साल 29 जुलाई के दिन को विश्व के कई देशों में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day 2024) के तौर पर मनाया जाता है। इस खास दिन को मनाने का उद्देश्य बाघों की लगातार कम होती आबादी को रोकने और उनके संरक्षण को लेकर लोगों के प्रति जागरुकता फैलाना है। वहीं, हमारे देश के लिए ये दिन और भी खास है।
गौरतलब है कि टाइगर न केवल भारत का राष्ट्रीय पशु है, बल्कि दुनियाभर में सबसे ज्यादा टाइगर भारत में ही पाए जाते हैं। ऐसे मे आइए जानते हैं अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने की शुरुआत कब हुई और बाघ दिवस का इतिहास क्या है-
क्या है अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस का इतिहास?
इस खास दिन को मनाने की शुरुआत साल 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट (Saint Petersburg Tiger Summit) के दौरान हुई थी।
बाघों की विलुप्त होती प्रजाति को रोकने और उनकी रक्षा के लिए समर्पित राष्ट्रों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और संरक्षण समूहों के बीच जागरुकता फैलाने और उन्हें एक साथ लाने के उद्देश्य से ग्लोबल टाइगर इनिशिएटिव (GTI) ने सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट का आयोजन किया था। उसी सम्मेलन में 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने का फैसला किया गया और तभी से हर साल आज के दिन को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के रूप में मनाया जाता है।
पढ़िए टाइगर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- दुनिया के 70% से अधिक बाघ भारत में ही पाए जाते हैं। वहीं, 2018 की गणना के अनुसार देश में भी सर्वाधिक बाघ मध्यप्रदेश में पाए जाते हैं। इसे टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है।
- भारत से अलग बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम में बाघ पाए जाते हैं।
- एक वयस्क नर बाघ का औसतन वजन 400 से 550 पाउंड यानी 180 से 250 किलोग्राम होता है। वहीं, मादा वाघ का वजन 265 से 370 पाउंड यानी 120 से 170 किलोग्राम के बीच होता है।
- बाघ के बच्चे अंधे पैदा होते हैं और उनकी आंखें जन्म के 6-12 दिनों के बीच खुलती हैं। इसके बाद कुछ हफ्तों तक उन्हें धुंधला दिखाई देता है और फिर जाकर चीजें साफ नजर आती हैं। इतना ही नहीं, बाघ नीली आंखों के साथ पैदा होते हैं जो बड़े होने पर सुनहरे रंग में बदल जाती हैं।
- एक बाघ की दहाड़ लगभग तीन किमी दूर तक सुनी जा सकती है।
- एक युवा बाघ 65 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है।
- बाघ अगर भरपेट खाना खा ले, तो वह 30 घंटों तक सो सकता है।
- इतना ही नहीं, कहा जाता है कि बाघ अन्य जानवरों की आवाज की नकल कर सकते हैं, जिससे उनके लिए जानवरों का शिकार करना आसान हो जाता है।