अमेरिका में एक भारतीय अमेरिकी वैज्ञानिक ने अपने दो अन्य सहकर्मियों के साथ मिलकर प्रयोगशाला में पशु कोशिकाओं से ऐसा मांस विकसित किया है जो खराब नहीं होगा। इससे बड़े पैमाने पर पशुओं के वध पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। वैज्ञानिक उमा एस वलेती ने कहा कि इस तरह के मांस की लोकप्रियता से बड़े पैमाने पर होने वाले पशु वध पर रोक लगेगी और उन्होंने आगामी कुछ वर्ष में पशु कोशिकाओं से बने मांस को बेचने के लिए व्यापक स्तर पर व्यावसायीकरण की उम्मीद जताई।

पशे से हृदय रोग विशेषज्ञ और ‘मेम्फ्सि मीट्स’ की सह संस्थापक वलेती ने बताया कि ‘‘यह क्रूरता मुक्त है।’’ उन्होंने बताया, ‘‘प्रयोगशाला में उनकी टीम द्वारा विकसित मांस का जीवाणु संदूषण या उच्च संतृप्त वसा या इनसे होने वाले बड़े पर्यावरणीय मुद्दों जैसे स्वास्थ्य से जुड़ा कोई दुष्प्रभाव नहीं है।’’

वलेती ने कहा, ‘‘हमलोग ऐसा मांस बना रहे हैं जो सुरक्षित, स्वास्थ्यवर्द्धक और लंबे समय तक चल सकने वाला है।’’ किसी पशु को मारे बगैर मांस की यह खास किस्म विकसित करने वाले आंध्र प्रदेश के रहने वाले डॉक्टर ने कहा कि वे निश्चित पशुओं से ऐसी खास कोशिकाएं लेते हैं जो खुद के नवीकरण में सक्षम होती हैं। वलेती ने बताया कि इन कोशिकाओं को बाद में आॅक्सीजन और शर्करा एवं खनिज पदार्थ जैसे पोषक तत्वों से मिलाकर नौ से 21 दिनों के बीच विकसित किया जाता है।