यदि आपके बच्चे को लगातार सांस लेने में दिक्कत हो रही है, सर्दी खांसी जा नहीं रही है तो यह अस्थमा के लक्षण हो सकते हैं। कुछ बच्चों में यह बीमारी होती है। ऐसे बच्चों में थोड़ा भी मौसम करवट लें तो परेशानी बढ़ जाती है। दरअसल, अस्थमा फेफड़े की एक गंभीर बीमारी है जो लंबे समय तक शरीर में रहती है। ऐलोपैथिक में इसका कोई ठोस इलाज नहीं है लेकिन कुछ उपायों को अपनाकर इसकी गंभीरता को कम किया जा सकता है। योग गुरु बाबा रामदेव कुछ आयुर्वेदिक दवाइयों और योग के माध्यम से इसे सही होने का दावा करते हैं। तो आइए सबसे पहले जान लें कि बच्चों में इस बीमारी के लक्षण क्या हैं?
बच्चों में अस्थमा के लक्षण:
- हालांकि सभी बच्चों में एक जैसे लक्षण नहीं पाए जाते हैं लेकिन कुछ लक्षण सामान्य हो सकते हैं।
- बच्चों में सर्दी इसका सबसे बड़ा लक्षण है। ऐसी सर्दी जो आसानी से जाएं नहीं।
- अस्थमा से पीड़ित बच्चों में खांसी की गंभीर समस्या रहती है। खासकर तब जब वह खेल रहा हो। इसके अलावा सर्दी के मौसम में रात को अक्सर खांसी परेशान करती है। रोने-हंसने के दौरान भी खांसी होती रहती है।
- किसी भी तरह का वायरल इंफेक्शन तुरंत लग जाना और तेज सर्दी लगना भी इस बीमारी के लक्षण हैं।
- खेलने के दौरान कम एनर्जी लगना, ऐसे में सांस लेने में दिक्कत महसूस करना।
- खेल या सामाजिक गतिविधियों से घबराना।
- सांसों में परेशानी और खांसी के कारण सोने में दिक्कत।
- सांस बहुत तेज चलना।
- छाती में दर्द करना।
- सांस अंदर या बाहर करते समय घरघराहट, सीटी की आवाज आना।
- सांस लेने में कठिनाई होना।
- गर्दन और छाती की मांसपेशियां का सख्त हो जाना।
- कमजोरी या थकान महसूस होना।
- खाने में परेशानी या भोजन करते समय घुरघुराना (शिशुओं में)।
बच्चों में अस्थमा का बचाव कैसे करें:
- बच्चों में अस्थमा तब ज्यादा परेशान करता है जब धूलकण, परागकण का एक्सपोजर ज्यादा होता है। सर्दी होने पर या पराग जैसी चीजों के आसपास होने पर फेफड़े और वायुमार्ग में आसानी से सूजन आ सकती है। इसलिए बच्चों को हमेशा धूलकण और परागकण से बचाएं। इसके अलावा सर्दी में विशेष ख्याल रखने की जरूरत है। जिस चीज से बच्चे को एलर्जी होती हो, उस चीज को उससे दूर रखें।
- अस्थमा के लक्षण आने पर बच्चों को डॉक्टर के पास ले जाएं। डॉक्टर विभिन्न तरह के टेस्ट के माध्यम से और पारिवारिक इतिहास को देखते हुए दवाई लिखते हैं। इसके अलावा अस्थमा एक्शन प्लान बनाते हैं, उस हिसाब से बच्चों की केयर करना पड़ती है।
- अस्थमा के इलाज के लिए बाबा रामदेव बताते हैं कि आजकल बच्चों में अस्थमा की शिकायत ज्यादा होने लगती है। इन बच्चों को गिलोई की गोली और श्वासारि दवाई दी जानी चाहिए। ये आयुर्वेदिक दवाई है।
- बच्चे को शहद खिलाएं। शहद का सेवन करने से खांसी से आराम मिलेगा। औषधीय गुणों से भरपूर शहद इम्युनिटी को स्ट्रॉन्ग करेगा। याद रखें कि एस साल से छोटे बच्चे को शहद नहीं दें।
- बच्चे को हल्दी का दूध पीलाएं। हल्दी एक एंटीबायोटिक कि तरह काम करती है। अस्थमा में हल्दी का सेवन दूध के साथ करने पर बच्चे की सेहत को फायदा होगा।