Potty Training: छोटे बच्चे को पालना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं है। ये बस मां को ही पता होता है कि कैसे बच्चे को बढ़ा किया जाता है। छोटे बच्चे न तो ठीक से बोल पाते हैं और न ही कुछ महसूस होने पर बता पाते हैं। मां के अलावा कई लोग उनकी जरूरतों को समझ भी नहीं पाते हैं। अक्सर पेरेंट्स की ये शिकायत रहती है कि उनका बच्चा बिस्तर पर ही टॉयलेट कर देता है। ऐसे में पेरेंट्स बच्चे को डायपर पहना देते हैं। बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देना काफी चैलेंजिंग रहता है। कई बार लोग कोशिश तो करते हैं लेकिन बच्चे अगर सीख नहीं पाते हैं तो सख्ती करने लगते हैं। ऐसे में बच्चा परेशान तो होता ही है, साथ में पेरेंट्स भी तनाव में आ जाते हैं। बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देने से पहले आपको कुछ चीजों के बारे में पता होना चाहिए। जैसे सही तरीके से कैसे पॉटी ट्रेनिंग दी जाती है और किस उम्र में बच्चों को ये ट्रेनिंग देने की शुरुआत करनी चाहिए, आइए जानते हैं इसके बारे में।
पॉटी ट्रेनिंग देने की सही उम्र
18 से 24 महीने की उम्र के अंदर आप बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देने की शुरुआत कर सकते हैं। अगर आपका बच्चा कपड़े में टॉयलेट करने या गंदगी करने पर असजह महसूस करता है तो आप इसे शुरू कर सकते हैं। पॉटी ट्रेनिंग देने से पहले ये समझने की कोशिश करें कि आपका बच्चा इसके लिए तैयार है या नहीं। अगर आपका बच्चा रोजाना पॉटी आने पर कुछ संकेत देता है, जैसे चेहरा बनाना, इधर-उधर भागना या किसी फिक्स टाइम के आसपास पॉटी करना। तो आप समझ जाइए कि आपका बच्चा ट्रेनिंग लेने के लिए तैयार है।
इन बातों का रखें ध्यान
सबसे पहले अपने मन में एक बात समझ लें कि हर बच्चे के सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है। ऐसे में बच्चे पर जल्दी इसे सीखने के लिए दबाव न बनाएं। डांटने या डराने की बजाए आपको प्यार से उसे सीखना है। पॉटी ट्रेनिंग के लिए सबसे पहले एक सही सीट लें। ये ऐसी होनी चाहिए जिस पर बच्चा आराम से बैठ सके। कोशिश करें कि ये इतनी बड़ी हो कि बच्चे के पैर जमीन पर आ जाएं। अगर सीट ज्यादा ऊंची है तो बच्चे के पैर के नीचे स्टूल रखें।
बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देने का सही तरीका
पॉटी ट्रेनिंग देने के लिए बच्चे का एक रूटीन फिक्स करें। बच्चे को कम से कम दो बार रोजाना पॉटी ट्रेनिंग सीट पर बैठाएं। लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि बच्चे को 10 मिनट से ज्यादा देर तक इस पर न बैठने दें। ऐसा करने से बच्चा परेशान होकर रोने लगेगा। धीरे-धीरे उसे मोटिवेट करें। आप इससे पहले उसे दूध भी पीने के लिए दे सकती हैं। ऐसा करने से पेट क्लीन होने में मदद मिलेगी। बच्चे को खाने में फल, सब्जियां दें। इससे उसको जल्दी मोशन होगा। रोजाना जब आप एक फिक्स टाइम पर बच्चे को सीट पर बैठाएंगी तो बच्चा जल्दी ही ये सीख जाएगा कि उसे अब फ्रेश होना है। ध्यान रखें कि बच्चे को ये सीखने में कई बार समय भी लग सकता है। इसलिए धैर्य से काम लें।