होली 2018 पूजा विधि और शुभ मुहूर्त: होली की पूजा होलिका दहन से पहले की जाती है। इस पूजा को सामुदायिक तौर पर किया जाता है। होली शुरु होने से पहले ही चौराहे पर लकड़ियां, सुखी पत्तियां, पेड़ की डालियां, गोबर के कंडे इत्यादि सामग्री जमा होनी शुरु हो जाती है। इस ढेर को मजबूत लकड़ी के पास बनाया जाता है, इसी को होलिका कहा जाता है। फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन इसे जलाने से पहले होलिका की पूजा की जाती है। होलिका के जलने के बाद जो राख बचती है उसे घर जाकर अगले दिन शरीर पर लगाया जाता है। मान्यता है कि इस राख को शरीर पर लगाने से बीमारियों से छुटकारा मिलता है।

होली की पूजा विधि- एक कलश या बर्तन में जल, गोबर के कंडे, रोली, अक्षत, धूप या अगरबत्ती, फूल मालाएं, मोली, कच्ची हल्दी की गांठे, साबूत मूंग दाल, पताशे, नारियल, गुलाल, सीधा डंडा। सामुदायिक होलिका दहन में होलिका के जलने से पहले रोली, अक्षत, फूल, मालाएं, धूप और अगरबत्ती दिखाकर पूजा करें। इसके बाद परिक्रमा करते हुए मोली या सूत का धागा बांधें और होलिका के जलने के बाद उसमें पानी का अर्घ्य दें और कच्चे या हरे चने के बूटे को भूनें। इसके बाद इसे प्रसाद के रुप में ग्रहण करें। अगले दिन शरीर पर होलिका की राख लगाने के बाद ही रंग खेलना शुभ माना जाता है।

फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि इस बार 1 मार्च को प्रातः 8.57 से लेकर 2 मार्च 6.21 मिनट तक है। 1 मार्च शाम को सूरज डूबने के बाद प्रदोष काल में ही होलिका दहन शुभ माना जाता है। होलिका के पूजन के लिए भद्रा पूंछ का मुहूर्त 15 बजकर 54 मिनट से शाम 4 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। भद्रा मुख के लिए शाम 4.58 से लेकर 6.45 तक रहेगा। इसी के साथ होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 16 मिनट से लेकर 8 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। होलिका दहन के समय होलिका की पांच से सात बार परिक्रमा करना शुभ माना जाता है और भगवान से नई फसल के लिए प्रार्थना की जाती है।