Hindi Diwas 2020 Speech, Essay, Nibandh, Bhashan, Poem, Kavita, Slogan, Quotes in Hindi: हिंदी केवल एक भाषा ही नहीं बल्कि भावनाओं का उमड़ता सैलाब है, जो हर दिन सफलता के नए सोपान गढ़ रही है और एक नदी की मानिंद आगे बढ़ रही है। देश में करीब 77 प्रतिशत लोग हिंदी बोलते हैं। यही कारण है कि हिंदी को राज भाषा का दर्जा प्राप्त है। बता दें कि 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा द्वारा आजाद भारत की मुख्य भाषा के रूप में हिंदी को पहचान दी गई थी। साल 1952 में पहली बार हिंदी दिवस का आयोजन हुआ था। तब से ये सिलसिला लगातार बना हुआ है।
सरकारी कार्यालयों और शिक्षण संस्थानों में 15 दिनों तक हिंदी पखवाड़ा मनाया जाता है। इस दौरान सभी कार्य हिंदी में किये जाते हैं, साथ ही कई साहित्यिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं भी कराई जाती हैं। इस बार कोरोना काल में कई जगह इन कार्यक्रमों को ऑनलाइन आयोजित कराया जा रहा है। ऐसे में अगर आपको भी भाषण या निबंध के लिए कंटेंट की जरूरत है, तो यहां से मदद ले सकते हैं।
Speech 1: आदरणीय मुख्य अतिथि, निर्णायक गण एवं मेरे प्यारे साथियों!
हिंदी भाषा को देवनागरी लिपि में भारत की कार्यकारी और राजभाषा का दर्जा आधिकारिक रूप में दिया गया। गांधी जी ने हिंदी भाषा को जनमानस की भाषा भी कहा है। भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1) में हिंदी को संघ की राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। हिंदी दिवस यानी 14 सितंबर वह दिन है जब हम सब अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी का प्रचार और प्रसार करते हैं।
हिंदी पूरी दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली मूल भाषा है। 2011 की सेन्सस रिपोर्ट के अनुसार भारत की सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा हिंदी है। हिंदी का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना है और भारत में 1949 से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।
Speech 2: सभी को मेरा नमस्कार! हिंदी दिवस के अवसर पर मैं कुछ विचार प्रस्तुत करना चाहता/चाहती हूं।
हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। अंग्रेजी, स्पेनिश और मंदारिन के बाद हिंदी दुनिया में चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी दिवस पर हर साल, भारत के राष्ट्रपति दिल्ली में एक समारोह में, हिंदी भाषा में अतुलनीय योगदान के लिए लोगों को राजभाषा पुरस्कार से सम्मानित करते हैं। भारत में हिंदी एक मात्र ऐसी भाषा है, जिसे सबसे अधिक बोला, लिखा व पढ़ा जाता है।
पर आज के समय में युवाओं को अपनी इस भाषा को बोलने में शर्मिंदगी होती है, जो कि सही नहीं है। कई साहित्यकारों ने अपनी बातें कहने के लिए हिंदी को चुना क्योंकि केवल शब्द ही नहीं बल्कि इसके भाव भी लोगों के दिल को छूते हैं। ये मेरा आग्रह है कि बोलचाल और लिखते वक्त हिंदी का इस्तेमाल अधिक से अधिक हो।