क्सर माता-पिता अपने बड़े होते बच्चे के स्वास्थ्य, खासकर उनके दांतों की सफाई को लेकर चिंतित रहते हैं। बच्चों को ज्यादा मीठा- चॉकलेट, आइसक्रीम जैसी चीजें खाना बहुत पसंद होता है। चाहे जितना भी पेट भरा हो, बच्चे इन चीजों के लिए कभी ना नहीं कहते, बस खाते हैं, खेलते हैं और सो जाते हैं। शिशु अवस्था में ब्रश की आदत नहीं पड़ी होने के कारण बड़े होते बच्चे दांतों की सफाई को ज्यादा महत्त्व नहीं देते। नतीजतन दांतों में संक्रमण, दर्द, सड़न, मसूड़ों में कीड़े लगने और गड्ढे बनने की समस्या हो जाती है।
स्वस्थ दांत बच्चे के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। मगर बच्चों में ‘ओरल हेल्थ’ यानी दांत और मुंह की सफाई की आदत विकसित करना थोड़ा मुश्किल काम है। ‘ओरल हेल्थ’ का संबंध सिर्फ दांतों की सफाई से नहीं होता है। दांतों के अलावा जीभ, गाल और मसूड़ों में ढेरों बैक्टीरिया पैदा होते रहते हैं। इन हिस्सों की भी दांतों की ही तरह देखभाल की जरूरत होती है तभी मुंह की संपूर्ण देखभाल होती है। बच्चे के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए उनके दांतों की देखभाल कैसे करें, आइए जानते हैं।
दांत मांजना
दांतों की स्वच्छता की जरूरत तभी शुरू हो जाती है, जब बच्चे के दांत निकलने शुरू होते हैं। हालांकि जन्म के साथ ही बच्चों के मसूढ़े मजबूत होने और दांत निकलने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। लेकिन दांत निकलने में आठ से नौ महीने लग जाते हैं। साल दो साल में बच्चों के पूरे दांत निकल आते हैं। फिर तब शुरू होती है बच्चों के दांतों की सफाई।
जब बच्चे एक से दो साल के हों, तब दिन में कम से कम दो बार उनके दांतों को पानी से धोएं। थोड़ा टूथपेस्ट का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। ध्यान रहे, टूथपेस्ट फ्लोराइड युक्त न हो। इस प्रकार का टूथपेस्ट आपके बच्चे को निगलने के लिए सुरक्षित नहीं होता है। एक बार जब आपका बच्चा टूथपेस्ट बाहर थूकना जान जाए, तो आप उसे फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट दे सकते हैं। वह भी बहुत थोड़ी मात्रा में।
बच्चे को सात या आठ साल की उम्र तक अपने दांतों को ब्रश करने में आपकी मदद की आवश्यकता होती है। इस समय के आसपास, वे बड़े आकार के टूथब्रश का उपयोग भी शुरू कर सकते हैं। बच्चों के टूथब्रश को हर तीन से छह महीने में बदलना जरूरी है।
कैसा हो ब्रश
शुरुआत में बच्चों को ब्रश करना नहीं आता है, इसलिए पहले उन्हें सिखाएं, फिर उनके हाथ में ब्रश दें। बच्चों के दांतों की सफाई के लिए मुलायम रेशे वाले टूथब्रश का ही इस्तेमाल करें। दांत की सफाई के लिए ब्रश को गोलाई में, फिर दाएं से बाएं ब्रश कराएं। दांत के साथ मसूड़ों और जीभ को भी साफ करना सिखाएं।
ब्रश के बारे में रोज पूछें
अक्सर बच्चे ब्रश करना भूल जाते हैं। ऐसे में जब तक बच्चे दांतों की सफाई के महत्व को नहीं समझते, तब तक उनसे रोजाना ब्रश करने के बारे में पूछें। अगर आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो बच्चे को नहलाते समय अपने हाथों से उसके दांत और मुंह की सफाई करें।
दिन में दो बार ब्रश की आदत
बच्चे के दांत निकलने पर उन्हें दिन में दो बार ब्रश कराएं। एक बार सुबह कुछ खाने से पहले और दूसरी बार रात में सोने से पहले।
सोते समय दूध की बोतल न दें
कुछ बच्चों को चार-पांच वर्ष की उम्र तक बोतल में ही दूध पीने की आदत होती है। अगर आपके बच्चे के साथ भी ऐसा ही है, तो धीरे-धीरे उसकी आदत में बदलाव लाएं। कारण कि सोते समय दूध पीने से बच्चे के दांत अधिक समय तक शक्कर के संपर्क में रहेंगे, जिससे उनमें गड्ढे बनने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसलिए ब्रश के बाद बच्चे को कुछ भी पीने-खाने को न दें।
कुछ नुस्खे आजमाएं, जिससे बच्चे बड़े मजे से दांत की सफाई करेंगे-
’ बच्चों को अपना टूथब्रश चुनने में मदद करें।
’ बच्चों को उनके पसंद के स्वाद का टूथपेस्ट लेने दें।
’ उन्हें ऐसी कहानी और वीडियो दिखाएं जो दंत स्वच्छता के बारे में हो।
’ बच्चों को मुंह की सफाई अच्छे से करने के लिए कभी-कभी पुरस्कृत भी करें। पुरस्कार के तौर पर उन्हें चॉकलेट या टॉफी न दें, बल्कि फल या फिर स्वस्थ आहार भेंट करें। ल्ल