IAS Ansar Ahmad Shaikh: ‘कौन कहता है सुराख आसमां में हो नहीं सकता। एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो।’… IAS अंसार अहमद शेख के ऊपर ये पंक्तियां उपयुक्त बैठती हैं। साल 2015 में अंसार ने अपने पहले ही प्रयास में UPSC की परीक्षा में 361वीं रैंक लाकर सफलता हासिल की। महाराष्ट्र के जालना जिले के छोटे से गांव शेडगांव निवासी अंसार के पिता ऑटो चालक व मां खेतों में काम करती हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि पुणे में तैयारी के लिए घर खोजने के दौरान मुस्लिम नाम की वजह से किराए का घर नहीं मिला था। इसके चलते उन्होंने नाम बदलकर शुभम रखा था। परिवार में पढ़ाई-लिखाई का माहौल न होने के कारण अंसार के IAS बनने का सफर संघर्ष से भरा रहा। आइए जानते हैं-
गरीब परिवार से रखते हैं ताल्लुक: एक इंटरव्यू में IAS अंसार ने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी। उनके पिता की रोज की इनकम केवल 100 से 150 रुपये थी। ऑटो चालक पिता चाहते थे कि वो भी पढ़ाई छोड़कर उनकी मदद में जुट जाए। हालांकि, स्कूल से पढ़ाई छुड़वाने के समय अंसार के टीचर ने ये कहते हुए उनके पिता को रोक दिया कि वो पढाई में बहुत ही होशियार है।
बचपने से पढ़ाई में थे होशियार: अंसार बताते हैं कि 12वीं में उन्होंने 91 प्रतिशत नंबर प्राप्त किये थे जिसके बाद परिवार में किसी ने भी पढ़ाई छोड़ने की बात उनसे दोबारा नहीं की। शुरुआत से ही सिविल सर्विसेज में जाने का मन बना चुके अंसार ने बारहवीं के बाद पुणे के फर्गुसन कॉलेज से राजनीति विज्ञान में बीए किया है।
पैसों के लिए की होटल में वेटर की नौकरी: अपने संघर्ष के दिनों का जिक्र करते हुए IAS अंसार अहमद शेख ने बताया कि बारहवीं के बाद UPSC की तैयारी में होने वाले खर्च के बारे में सोचकर उन्होंने होटल में वेटर की नौकरी भी की। वहां लोगों को पानी देने से लेकर फर्श पर पोछा लगाने तक का काम किया। अंसार बताते हैं कि उन दिनों वो होटल में तकरीबन सुबह 8 बजे से लेकर 11 बजे रात तक काम करते थे।
सफलता का नहीं है कोई शॉर्टकट: मात्र 21 वर्ष की आयु में UPSC की परीक्षा क्लियर करने वाले अंसार युवाओं को संदेश देते हुए कहते हैं कि सफलता प्राप्त करने का कोई आसान तरीका नहीं है। वो कहते हैं कि अगर किसी भी अभ्यार्थी ने दृढ़ निश्चय कर लिया है कि उससे सिविल सर्विसेज में ही अपना भविष्य बनाना है तो कोई भी प्रतिकूल स्थिति उसे लक्ष्य से भटका नहीं सकती है। उनके अनुसार लोगों को खुद से कॉम्पीटिशन रखना चाहिए। अंसार बताते हैं कि दसवीं के बाद से ही उन्होंने तैयारी शुरू कर दी थी।