Guru Nanak Jayanti (Gurpurab) 2020 Speech, Quotes, Essay: गुरु नानक देव जी सिखों के प्रथम गुरु थे। सन् 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही राय भोई की तलवंडी नामक जगह पर गुरु नानक जी का जन्म हुआ था। इस कारण हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पर्व या गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। सिख समुदाय के लोगों के लिए ये दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है। माना जाता है कि सांसारिक कार्यों में नानक देव जी का मन नहीं लगता था। ईश्वर की भक्ति और सत्संग में ही उनकी रुचि ज्यादा थी। बता दें कि उन्होंने ही सिख समुदाय की स्थापना की थी। इस दिन प्रभात फेरी, शबद कीर्तन व गुरुद्वारों में सेवा करने की बहुत ज्यादा अहमियत है।
इस मौके पर कई जगह अवकाश घोषित होते हैं तो कुछ जगहों पर कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है। गुरु पर्व पर कई संस्थानों में निबंध व भाषण प्रतियोगिताएं भी करायी जाती हैं। आइए देखते हैं निबंध और स्पीच के कुछ बेहतरीन सैंपल्स –
स्पीच 1: यह सिखों का सबसे बड़ा त्योहार है। गुरु नानक जयंती सिख धर्म के सबसे पुराने त्योहारों में से एक है। गुरु नानक देव का जन्मदिन गुरु नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है। गुरु नानक जयंती कार्तिक के महीने में पूर्णिमा के दिन कार्तिक पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। गुरु नानक सिख धर्म के संस्थापक थे। वह पहले सिख गुरु थे, गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को पाकिस्तान के वर्तमान शेखपुरा जिले में राय-भोई-दी तलवंडी में हुआ था, जिसे अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। गुरु नानक जयंती पर, सिख लोग नए कपड़े पहनते हैं और गुरुद्वारों में जाते हैं। गुरु नानक जयंती की सुबह गुरुद्वारे में प्रभात फेरी के साथ शुरू होती है और भजन गायन वाले इलाकों में जुलूस चलता है। सिख प्रार्थना करते हैं और गुरु नानक जी को श्रद्धांजलि देते हैं।
स्पीच 2: गुरु नानक देव सिखों के प्रथम गुरु व सिख धर्म के संस्थापक थे। वे एक महापुरुष व महान धर्म प्रर्वतक थे जिन्होंने विश्व से सांसारिक अज्ञानता को दूर कर आध्यात्मिक शक्ति को आत्मसात् करने हेतु लोगों को प्रेरित किया। गुरु नानक देव जी की बचपन से ईश्वर में श्रद्धा थी। उनका मन भक्ति में ही लगता था। उनकी दृष्टि में ईश्वर सर्वव्यापी है। वे मूर्ति पूजा के कट्टर विरोधी थे। गुरु पर्व की शुरुआत भजन गायन के साथ होती है। इस दिन गुरुद्वारों में लंगर भी लगता है।
Highlights
जान लें कि गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev) ने समाज में व्याप्त बुराइयों और कुरीतियों को दूर करके लोगों के जीवन में प्रकाश भर दिया इसीलिए उनके जन्मदिन को प्रकाश पर्व (Prakash Parv) के रूप में हर साल बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है
हर सिख के लिए गुरु पर्व का दिन बेहद अहम होता है। इस दिन हर कोई एक-दूसरे को गुरुपुरब यानी गुरु नानक जयंती की दिल स शुभकामनाएं देता है। गुरु नानक देव की जयंती इस साल 30 नवंबर, सोमवार यानी आज है। गुरु पर्व के पावन दिन सिखों के पहले गुरु गुरु नानक की जयंती का प्रतीक है। यह सिख धर्म के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक माना जाता है।
16 साल की उम्र में उनका विवाह हो गया था। बता दें कि दो पुत्रों के जन्म के बाद नानक देव जी अपने कुछ दोस्तों के साथ तीर्थयात्रा पर निकल पड़े थे।
गुरु पर्व की शुरुआत भजन गायन के साथ होती है। इस दिन गुरुद्वारों में लंगर भी लगता है।
गुरु नानक जयंती पर, सिख लोग नए कपड़े पहनते हैं और गुरुद्वारों में जाते हैं। गुरु नानक जयंती की सुबह गुरुद्वारे में प्रभात फेरी के साथ शुरू होती है और भजन गायन वाले इलाकों में जुलूस चलता है। सिख प्रार्थना करते हैं और गुरु नानक जी को श्रद्धांजलि देते हैं।
गुरु नानक देव का मन बचपन से ही धार्मिक गतिविधियों में लगा रहता था. उनकी इस धार्मिक प्रवृति की वजह से उनके माता-पिता चिंतित रहते थे. एक दिन की बात है जब गुरु नानक देव जी के पिता ने उन्हें पढ़ाई करने के लिए गुरुकुल में भेजा, लेकिन उनके गुरु, नानक देव के सवाल पर निरुत्तर हो गए
गुरु नानक सिख धर्म के संस्थापक थे। वह पहले सिख गुरु थे, गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को पाकिस्तान के वर्तमान शेखपुरा जिले में राय-भोई-दी तलवंडी में हुआ था, जिसे अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है।
यह सिखों का सबसे बड़ा त्योहार है। गुरु नानक जयंती सिख धर्म के सबसे पुराने त्योहारों में से एक है। गुरु नानक देव का जन्मदिन गुरु नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है।
गुरु नानक देव के पिता का नाम मेहता कालू और माता का नाम तृप्ता देवी था. नानक देव जी की बहन का नाम नानकी था. नानक जी के जन्म के बाद तलवंडी का नाम ननकाना पड़ा. वर्तमान में यह जगह पाकिस्तान में है
भाई बाला जन्मसखी के मुताबिक गुरु नानक देव का जन्म भारतीय चंद्र मास कार्तिक की पूर्णिमा पर हुआ था। सिख इसी वजह से नवंबर में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक के गुरुपुरब को मनाते हैं।
बिक्रमी कैलेंडर के मुताबिक उनका जन्म 1469 में कटक के पूर्णिमा पर हुआ था। भाई बाला जन्मसखी के मुताबिक गुरु नानक का जन्म भारतीय चंद्र मास कार्तिक की पूर्णिमा पर हुआ था।
हर सिख के लिए गुरु पर्व का दिन बेहद अहम होता है। इस दिन हर कोई एक-दूसरे को गुरुपुरब यानी गुरु नानक जयंती की दिल स शुभकामनाएं देता है। गुरु नानक देव की जयंती इस साल 30 नवंबर, सोमवार यानी कल है। गुरु पर्व के पावन दिन सिखों के पहले गुरु गुरु नानक की जयंती का प्रतीक है। यह सिख धर्म के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक माना जाता है।
हो लाख-लाख बधाई आपको
गुरु नानक का आशीर्वाद मिले आपको
ख़ुशी का जीवन से रिश्ता हो ऐसा
दीये का बाती संग रिश्ता जैसा
गुरु नानक देव का मन बचपन से ही धार्मिक गतिविधियों में लगा रहता था. उनकी इस धार्मिक प्रवृति की वजह से उनके माता-पिता चिंतित रहते थे. एक दिन की बात है जब गुरु नानक देव जी के पिता ने उन्हें पढ़ाई करने के लिए गुरुकुल में भेजा, लेकिन उनके गुरु, नानक देव के सवाल पर निरुत्तर हो गए
प्रकाश पर्व के दिन गुरु नानक देव जी को याद किया जाता है. इस दिन सिख धर्म के लोग प्रार्थना करते हैं. इन सभाओं में गुरु नानक देव के द्वारा दी गई शिक्षाओं के बारे में बताया जाता है. इस दिन उनके जीवन के बारे में पाठ किया जाता है. सिख धर्म के लोग इस दिन अपने घरों और मोहल्लों में अखंड पाठ भी कराते हैं
गुरु नानक देव के पिता का नाम मेहता कालू और माता का नाम तृप्ता देवी था. नानक देव जी की बहन का नाम नानकी था. नानक जी के जन्म के बाद तलवंडी का नाम ननकाना पड़ा. वर्तमान में यह जगह पाकिस्तान में है
दुनिया में किसी व्यक्ति को भ्रम में नहीं रहना चाहिए। बिना गुरु के कोई भी व्यक्ति दूसरे किनारे तक नहीं जा सकता है। धार्मिक व्यक्ति वही है जो सभी लोगों का समान रूप से सम्मान करे।
नानक नाम चर्दी कला,
तेरे भने सरबत दा भला,
धन धन साहिब श्री गुरु नानक देव जी दे आगन,
पूरब दी आप सबनु लख लख वधाई
राज करेगा खालसा, बाके रहे ना कोए,
वाहेगुरु जी का खालसा वाहे गुरु जी की फ़तेह