Happy Gandhi Jayanti 2021 Speech And Essay: 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में जन्में मोहनदास करमचंद गांधी ने न केवल भारत में देशभक्ति की अलख जगाई बल्कि पूरी दुनिया को सत्य, अहिंसा और शांति का पाठ भी पढ़ाया। गांधी जी और उनके विचारों को याद करने के लिए पूरी दुनिया में 2 अक्टूबर को ‘गांधी जयंती’ मनाई जाती है। अहिंसा परमो धर्मः के सिद्धांत को नींव बनाकर, विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से महात्मा गांधी ने देश को गुलामी के जंजीर से आजाद कराया। महात्मा गांधी की सिर्फ स्वराज्य प्राप्ति में ही नहीं बल्कि समाज से ‘छूत-अछूत’ जैसी सामाजिक बुराई को हटाने में भी बड़ी भूमिका थी।

हर साल 2 अक्टूबर को पूरा देश महात्मा गांधी को याद करता है। जहां स्थानीय और सरकारी संस्थाओं में प्रार्थना सभा आयोजित की जाती हैं, वहीं स्कूलों, कॉलेजों और दफ्तरों में खास कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। स्कूलों में छात्र बढ़-चढ़कर भाषण और निबंध प्रतियोगिताएं में हिस्सा लेते हैं। अगर आप भी गांधी जयंती पर निबंध या फिर स्पीच प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं तो यहां से कुछ टिप्स ले सकते हैं-

Speech 1: हमारा देश महान स्त्रियों और पुरुषों का देश है, जिन्होंने देश के लिए ऐसे आदर्श कार्य किए हैं, जिन्हें हर भारतवासी सदा याद रखेगा। कई महापुरुषों ने हमारी आजादी की लड़ाई में अपना तन-मन-धन और परिवार सब कुछ अर्पण कर दिया था, ऐसे ही महापुरुषों में से एक थे महात्मा गांधी। महात्मा गांधी युग पुरुष थे, जिनके प्रति पूरा विश्व आदर की भावना रखता था। हमारे समाज में जिन समुदायों के लोगों को ‘अछूत’ कहा जाता था, उन्हें बापू ने ‘हरिजन’ नाम दिया। जिस शब्द का अर्थ है हरि (भगवान) की संतान। इस एक पहल ने इन समुदायों के लोगों को सम्मानजनक जीवन दिलाने की कोशिश में बड़ी भूमिका निभाई। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास था। आपके पिता कर्मचंद गांधी राजकोट के दीवान थे। माता पुतलीबाई धार्मिक स्वभाव वाली अत्यंत सरल महिला थी।

Speech 2: युगपुरुष मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में पूर्ण करने के पश्चात राजकोट से मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण कर वह वकालत की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए थे। पढ़ाई करके लौटने पर भारत में उन्होंने वकालत प्रारंभ की। एक मुकदमे के दौरान उन्हें दक्षिण अफ्रीका भी जाना पड़ा। वहां पर भारतीयों की दुर्दशा देख वह बड़े दुखी हुए। इसके बाद ही उनमें राष्ट्रीय भावना जागी और वे भारतवासियों की सेवा में जुट गए। अंग्रेजों की कुटिल नीति तथा अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध गांधीजी ने सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किए। असहयोग आंदोलन एवं सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व किया।