Baglamukhi Jayanti 2025: देवी बगलामुखी को समर्पित बगलामुखी जयंती 5 मई को है। इस दिन आप भारत के प्रमुख बगलामुखी मंदिरों में दर्शन करने के लिए जा सकते हैं। इनमें से किसी का कनेक्शन महाभारत काल से है। तो किसी मंदिर के बारे में ये मान्यता है कि यहां दर्शन करने से कोर्ट-कचहरी के विवाद भी दूर हो जाते हैं। इन मंदिरों में देश की कई प्रमुख हस्तियां और राजनेता भी मत्था टेक चुके हैं। इस बार बगलामुखी जयंती पर कई शुभ योग बन रहे हैं। ऐसे में इन मंदिरों में जाकर माता के दर्शन और पूजा-पाठ करने से आपके सारे कष्ट दूर हो सकते हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
भारत में हैं मां बगलामुखी के 3 बड़े मंदिर
भारत में बगलामुखी के तीन ऐतिहासिक मंदिर हैं। इनमें कांगड़ा हिमाचल प्रदेश, दतिया और नलखेड़ा मध्यप्रदेश शामिल है। वहीं माता पीतांबरा देवी का प्राकट्य गुजरात में सौराष्ट्र क्षेत्र माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में मां बगलामुखी को दस महाविद्याओं में आठवां स्थान प्राप्त है।
बगलामुखी मंदिर कांगड़ा हिमाचल प्रदेश (baglamukhi temple kangra)
हिमाचल प्रदेश में स्थित मां बगलामुखी मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां मत्था टेकने से सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं। इसके साथ ही कोर्ट-कचहरी (Baglamukhi temple for Court Case) के मामलों से भी छुटकारा मिलता है। इस मंदिर में आम लोगों से लेकर सेलिब्रिटी, नेता भी दर्शन करने आते रहते हैं।
मंदिर की विशेषता
मंदिर के साथ प्राचीन शिवालय में आदमकद शिवलिंग स्थापित है, जहां लोग माता के दर्शन के उपरांत जलाभिषेक करते हैं। ऐसा बताया जाता है कि मां हल्दी रंग के जल से प्रकट हुईं थीं। पीले रंग के कारण मां को पीतांबरी देवी भी कहते हैं। इन्हें पीला रंग अति प्रिय है, इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग ही होता है।
बगलामुखी मंदिर नलखेड़ा (Bagalamukhi Temple Nalkheda)
तीन मुख वाली मां बगलामुखी का मंदिर मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले के नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे स्थित है। ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर महाभारत के समय का है। बताया जाता है कि पांड़वों ने यहां महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए साधना की थी। मां के दरबार में स्मृति ईरानी, उमा भारती, गिरिराज प्रसाद, अमर सिंह, जयाप्रदा, विजयराजे सिंधिया सहित कई बड़े नेता यहां माथा टेक चुके हैं।
मंदिर की विशेषता
पहले इसे माताजी को देहरा के नाम से जाना जाता था। यहां पूजा में हल्दी और पीले रंग के पूजन सामग्री का विशेष महत्व है। यहां पूजा में हल्दी और पीले रंग के पूजन सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है।
बगलामुखी माता दतिया (Shri Pitambara Peeth)
मध्य प्रदेश के दतिया में मां बगलामुखी का मंदिर स्थित है। यह मंदिर पीताम्बरा पीठ के नाम से दुनियाभर में प्रसिद्ध है। दतिया स्थित मां पीतांबरा पीठ में बगलामुखी देवी के रूप में भक्त उनकी आराधना करते हैं। मां पीतांबरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी होने के साथ ही राजसत्ता की देवी भी कहलाती हैं। मंदिर में मां पीतांबरा के साथ ही खंडेश्वर महादेव और धूमावती के दर्शनों का भी सौभाग्य मिलता है।
मंदिर की विशेषता
ऐसा बताया जाता है कि सन 1935 में ‘स्वामीजी महाराज’ ने दतिया के नरेश के सहयोग से मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर में मां बगलामुखी और धूमावती देवी की प्रतिमा स्थापित है। साथ ही मंदिर परिसर में हनुमान जी, काल भैरव, परशुराम सहित अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित है।
मां बगलामुखी के प्रमुख नाम
मां बगलामुखी को रौद्र रूपिणी, स्तभिंनी, भ्रामरी, क्षोभिनी, मोहनी, संहारनी, द्राविनी, जिम्भिनी, पीतांबरा, देवी त्रिनेभी, विष्णुवनिता, विष्णु-शंकर भमिनी, रुद्रमूर्ति, रौद्राणी, नक्षत्ररूपा, नागेश्वरी, सौभाग्य-दायनी, सुत्र संहार, कारिणी सिद्ध रूपिणी, महारावन-हारिणी परमेश्वरी, परतंत्र, विनाशनी, पीत-वासना, पीत-पुष्प-प्रिया, पीतहारा, पीत-स्वरूपिणी, ब्रह्मरूपा कहा जाता है।
बगलामुखी का अर्थ
बगलामुखी को महारुद्र (मृत्युंजय शिव) की मूल शक्ति के रूप में माना जाता है। वैदिक शब्द बग्ला है उसका विकृत आगमोक्ता शब्द बगला अत मां बगलामुखी कहा जाता है।
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