Premature Hair Greying: धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक है, इस बात को जानने के बावजूद भी कई लोग स्मोकिंग करते हैं। इसके नकारात्मक असर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पैसिव स्मोकिंग यानी अगर कोई धूम्रपान कर रहा है और कोई दूसरा व्यक्ति उसके धुएं के संपर्क में आए तो उसे भी नुकसान हो सकता है। स्मोक करने वाले लोगों में न केवल गंभीर बीमारियों का खतरा होता है बल्कि इसके प्रभाव से बाल भी असमय सफेद होने लगते हैं। आइए जानते हैं कम उम्र में बाल सफेद होने के प्रमुख कारणों को –
स्मोकिंग: 2013 में हुई एक अध्ययन के अनुसार नॉन-स्मोकर्स की तुलना में जो लोग स्मोक करते हैं, उनमें 30 साल से कम उम्र में ही बाल सफेद होने का खतरा 2.5 गुना अधिक होता है।
मेंटल स्ट्रेस: कम उम्र में बाल सफेद होने के पीछे तनाव का भी हाथ होता है। स्ट्रेस लेने से हेयर फॉलिकल्स कमजोर हो जाते हैं जिसके कारण सफेद बालों की समस्या होने लगती है।
विटामिन्स की कमी: शरीर में पोषक तत्वों की कमी से भी लोगों को सफेद बालों की समस्या से जूझना पड़ता है। न्यूट्रिशनिस्ट के मुताबिक जिन लोगों में विटामिन-डी3, विटामिन-ई, विटामिन-बी6, विटामिन-बी12 और मिनरल्स की कमी होती है, उनके बाल भी समय से पहले सफेद हो जाते हैं। इसके अलावा, आयरन, विटामिन डी, फोलेट और सेलेनियम की कमी से भी हेयर फॉलिकल्स सफेद हो सकते हैं।
अनुवांशिक कारण: कम उम्र में बाल सफेद होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जिनमें से कुछ जेनेटिक होते हैं। इसका मतलब है कि जिन लोगों के परिवार में उनके माता-पिता या बुजुर्गों के बाल भी समय से पहले सफेद हो चुके हों, तो उनमें भी ये परेशानी देखी जा सकती है।
हेयर कलर और हेयर प्रोडक्ट्स: कई लोग बालों में अधिक हेयर केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं जिसके कारण सफेद बालों या फिर हेयर फॉल की समस्या हो सकती है। इन उत्पादों में हानिकारक केमिकल मौजूद होते हैं जो बालों के लिए नुकसानदायक साबित होते हैं। इस वजह से कम उम्र में बाल सफेद होने की समस्या होने लगती है। यही परेशानी हेयर कलर प्रोडक्ट्स के साथ भी होती है। उनमें हार्श केमिकल्स पाए जाते हैं जो हेयर प्रॉब्लम्स बढ़ाने का कार्य करती हैं। इससे सफेद बालों के अलावा, खुजली और बाल झड़ना भी शुरू हो सकता है।