स्क्रीन पर घूरना बच्चों के लिए बिल्कुल उचित नहीं होता है। लेकिन एक नए अध्ययन ने अनुमान लगाया है कि इस बात के लिए कोई भी उचित सबूत नहीं है। बीबीसी द्वारा उद्धृत अध्ययन में कहा गया है कि स्क्रीन पर समय बिताने के लिए समय सीमा निर्धारित करने की अनुशंसा नहीं की जाती है, सोते समय कम से कम एक घंटे पहले उपकरणों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। यह
महत्वपूर्ण है और विशेषज्ञों का कहना भी है, एक स्वस्थ जीवनशैली का पालन करना के लिए उपकरणों का उपयोग करना कम कर देना चाहिए वरना यह आपके एक्सरसाइज या नींद के समय को बाधित करता है।
अध्ययन के अनुसार, बीएमजे ओपन मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया गया था और कहा गया था कि यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं हैं कि डिवाइस का अधिक इस्तेमाल विषाक्त हो सकता है, हालांकि स्क्रीन पर अधिक समय बिताना डिप्रेशन या फिर मोटापे का कारण होता है। वैज्ञानिक सर विलियम स्टुअर्ट ने एक अध्ययन के बाद कहा है कि हालांकि मोबाइल फ़ोन से स्वास्थ्य पर ग़लत प्रभाव पड़ने का अभी तक कोई पुख़्ता सबूत नहीं मिला है, लेकिन फिर भी इसका इस्तेमाल कम करने में कोई हर्ज नहीं है।
बाल चिकित्सा विशेषज्ञों को प्रशिक्षण देने वाले संस्थान रॉयल कॉलेज ऑफ पीडियाट्रिक्स एंड चाइल्ड हेल्थ (RCPCH) ने अंडर 18 बच्चों के यह निरीक्षण बताया, जिसकी समीक्षा लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज के विशेषज्ञों द्वारा आयोजित और संचालित की गई थी। ब्रिटेन के नेशनल रेडियोलॉजिकल प्रोटेक्शन बोर्ड ने भी कहा था कि मोबाइल का इस्तेमाल सिर्फ एमरजेंसी में ही करना चाहिए चाहे वह बच्चे हो या व्यस्क।
बच्चों के लिए स्क्रीन का इस्तेमाल कैसे हानिकारक होता है:
दिमाग के विकास को धीमा कर देता है।
मोटापा का कारण बनता है।
पर्याप्त नींद लेने में बाधा डालने लगता है।
मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।