Tips for Pregnant Women: गर्भावस्था का समय हर महिला के लिए बेहद खास होता है। इस दौरान वो कई शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलावों से गुजरती हैं। इस दौरान महिलाओं को अपने साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु का भी ध्यान रखना पड़ता है। सैंपल रेजिस्ट्रेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2008 से 2015 के बीच 55 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु जन्म के 28 दिनों के भीतर हो गई।
प्रेग्नेंसी के दौरान तथा जन्म लेने के बाद कुछ जटिलताओं की वजह से नवजात कई घातक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। गर्भावधि में डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं से जन्मे शिशुओं में सेरिब्रल पाल्सी का खतरा अधिक होता है। वहीं, एक शोध के अनुसार इस बीमारी से जूझ रहे 9.2 प्रतिशत व्यस्कों आगे चलकर डायबिटीज की चपेट में आ जाते हैं। आइए जानते हैं क्या है सेरिब्रल पाल्सी बीमारी और डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं को गर्भावधि में किन बातों का रखना चाहिए ध्यान-
क्या है सेरिब्रल पाल्सी बीमारी: सेरिब्रल पाल्सी यानि कि मस्तिष्क पक्षाघात, इसमें ह्यूमन एक्टिविटीज को नियंत्रित करने वाले मस्तिष्क के एक या अधिक हिस्से की क्षति के कारण प्रभावित व्यक्ति अपनी मांसपेशियों को सामान्य ढंग से नहीं हिला सकता। इस बीमारी के लक्षण लकवा से मिलते हैं। असामान्य रूप से हाथों और पैरों की हिलाना सेरेब्रल पाल्सी का सामान्य लक्षण है। चलने और बातचीत करने का धीमा विकास, मांसपेशियों के खिंचाव में भिन्नताएं जैसे बहुत कम या ज्यादा खिंचाव होना। शिशुओं को खाने में परेशानी, मांसपेशियों में ऐंठन, शरीर में अकड़न, और भैंगापन आदि इसके लक्षण हैं। इस बीमारी का प्रभाव कम, मध्यम या गंभीर हो सकता है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सेरेब्रल पाल्सी के अनुसार हमारे देश में लगभग 33000 लोग सेरेब्रल पाल्सी के साथ जी रहे हैं। भारत में इस बीमारी के 14 में से 13 मामले गर्भ में या जन्म के बाद पहले महीने के दौरान विकसित होते हैं।
डायबिटिक महिलाओं को क्यों रहना चाहिए अधिक सतर्क: डायबटीज से पीड़ित महिलाओं के लिए गर्भावस्था अधिक चुनौतीपूर्ण और जटिल होता है। डायबिटीज न सिर्फ प्रेग्नेंट महिलाओं के स्वास्थ्य पर असर डालता है बल्कि उनके अजन्मे बच्चे के विकास को भी प्रभावित करता है। मधुमेह की वजह से बच्चे कई बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। वहीं, रिसर्च के अनुसार गर्भावधि के दौरान महिलाओं में मधुमेह की वजह से बच्चों का वजन अधिक होता है जिस कारण लेबर में परेशानी आती है। परिणामस्वरूप नवजात में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। एस्फिक्सिया यानि कि ऑक्सीजन की कमी ब्रेन डैमेज होने का एक आम कारण है जिससे शिशु में सेरेब्रल पाल्सी का खतरा बढ़ता है।
प्रेग्नेंसी में डायबिटीज पेशेंट ऐसे रखें अपना ख्याल: इस दौरान ब्लड शुगर कंट्रोल में रखना बहुत जरूरी है इसलिए नियमित रूप से जांच करवाएं और डॉक्टर के संपर्क में रहें। मधुमेह से ग्रसित गर्भवती महिला को एक्सरसाइज जरूर करना चाहिए, इससे बॉडी हेल्दी रहती है। समय पर उठकर योगा-ध्यान और थोड़ी देर टहलना भी प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए फायदेमंद होगा। गर्भवती महिला को संतुलित भोजन करना चाहिए ताकि बच्चा और मां दोनो स्वस्थ रहें। शुगर या स्टार्च युक्त भोजन करने से परहेज करें। अगर संभव हो तो डायटीशियन से फूड चार्ट बनवा लें और उसी हिसाब से खाना खाएं।