Indian Constitution: 26 नवंबर 1949 को देश ने भारतीय संविधान के मसौदे को अपनाया था। इसके बाद ही 26 जनवरी 1950 से इसे देशभर में लागू किया गया था। इस दिन को हम गणतंत्र दिवस के नाम से मनाते हैं। संविधान को किसी भी देश का आइना भी कहा जाता है। इसी से देश में शासन, प्रशासन और जनता को दिशा-निर्देश मिलता है। आइए जानते हैं देश के संविधान की ऐसी रोचक बातें जो हर हिंदुस्तानी को जाननी चाहिए:
संविधान सबसे ऊपर: देश के संविधान को सर्वोपरि स्थान दिया गया है। न तो कोई सरकार, राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट और न ही प्रधानमंत्री इससे ऊपर हैं। सभी को इसके दायरे में रहकर ही काम करना होता है। भारतीय संविधान एक हस्तलिखित दस्तावेज है, इसे प्रिंटिंग मशीन में नहीं छापा गया है।
हाथ से लिखी गई थी मूल कॉपी: भारतीय संविधान को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने अपने हाथों से इटैलिक स्टाइल में लिखा था। हां इसके बाद इसकी प्रिंटिंग कॉपी बनाई गई ताकि देश में कानून की पढ़ाई करने वाले से लेकर कानूनवेत्ता तक इसकी पढ़ाई करें या अनुपालन करने में सहारा लें।
सबसे लंबा संविधान: भारतीय संविधान को विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान माना गया है। इसमें कुल 25 भाग हैं, जिसके अंतर्गत 448 धाराएं और 12 अनुच्छेद हैं। संविधान के इंग्लिश संस्करण में आपको कुल 117,369 शब्द मिल जाएंगे। इसको लिखने में प्रेम बिहारी जी को कुल 254 पेन निब्स का इस्तेमाल करना पड़ा था और 6 महीने का वक्त लगा था। यही नहीं उस दौर में लिखित संविधान बनाने पर लगभग ₹6.3 करोड़ रुपये खर्चे गए थे।

Highlights
"हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की और एकता अखंडता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प हो कर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई० "मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हज़ार छह विक्रमी) को एतद संविधान को अंगीकृत, अधिनियिमत और आत्मार्पित करते हैं."
सरकार ने 19 नवंबर, 2015 को राजपत्र अधिसूचना की सहायता से 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में घोषित किया था। भारत के संविधान निर्माता के डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने भारतीय संविधान के रूप में दुनिया का सबसे बड़ा संविधान तैयार किया है। यह दुनिया के सभी संविधानों को परखने के बाद बनाया गया। इसे विश्व का सबसे बड़ा संविधान माना जाता है, जिसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 94 संशोधन शामिल हैं।इसे विश्व का सबसे बड़ा संविधान माना जाता है... सरकार ने 19 नवंबर, 2015 को राजपत्र अधिसूचना की सहायता से 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में घोषित किया था। भारत के संविधान निर्माता के डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने भारतीय संविधान के रूप में दुनिया का सबसे बड़ा संविधान तैयार किया है। यह दुनिया के सभी संविधानों को परखने के बाद बनाया गया। इसे विश्व का सबसे बड़ा संविधान माना जाता है, जिसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 94 संशोधन शामिल हैं।
1934 में, संविधान सभा की मांग की गई थी। आपको बता दें कि एम.एन. कम्युनिस्ट पार्टी के नेता, रॉय पहले थे जिन्होंने इस विचार को रखा था। यह कांग्रेस पार्टी द्वारा लिया गया था और अंत में, 1940 में, ब्रिटिश सरकार द्वारा मांग को स्वीकार कर लिया गया था। भारतीयों को अगस्त के प्रस्ताव में भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने की अनुमति है।
भाजपा की अगुवाई वाली सरकार ने 2015 में 19 नवंबर को गजट नोटिफिकेशन द्वारा 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में घोषित किया।
26 नवंबर 1949 को देश ने भारतीय संविधान के मसौदे को स्वीकार किया था। पर इससे पहले संविधान निर्माण के लिए 9 दिसंबर, 1946 को पहली सभा संसद भवन में हुई थी। इसका निर्माण कुल 2 साल 11 महीने और 18 दिन में हुआ। डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे और भीमराव अंबेडकर कमेटी के चेयरमैन चुने गए थे।
भारतीय संविधान 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया था, जिसे देश के स्वतंत्र, संप्रभु गणराज्य होने की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है। 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ था। सभी समुदायों के सदस्यों के साथ घटक विधानसभा हमारे देश की विविधता को दर्शाती है। संविधान निर्माताओं को एक व्यापक संविधान विकसित करने में लगभग दो साल लगे, जो हमारे देश के विकास को प्रतिबिंबित करेगा। भारतीय संविधान उस समय की कसौटी पर खरा उतरा जैसा कि भारत कई अन्य देशों के विपरीत एक सफल लोकतंत्र रहा है जो एक ही समय में स्वतंत्र हो गए, लेकिन एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
भारत एक स्वतंत्र प्रभुसत्ता सम्पन्न समाजवादी लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। य़ह भारत के संविधान के अनुसार शासित है जिसे संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को ग्रहण किया गया तथा जो 26 जनवरी 1950 को प्रवृत्त हुआ। इस संविधान में सरकार के स्वरूप की व्यवस्था की गई जिसे संसदीय व्यवस्था कहा गया। इस संसदीय व्यवस्था की संरचना, एकात्मक विशिष्टताओं सहित संघीय है । वहीं केन्द्रीय कार्यपालिका का सांविधानिक प्रमुख राष्ट्रपति है। भारत के संविधान की धारा 79 के अनुसार, केन्द्रीय संसद की परिषद में राष्ट्रपति तथा दो सदन है जिन्हें राज्यों की परिषद (राज्य सभा) तथा लोगों का सदन (लोक सभा) के नाम से जाना जाता है।
यह हस्तलिखित संविधान है जिसमें 48 आर्टिकल हैं। इसे तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन का वक्त लगा था। इसके लिए 29 अगस्त 1947 को भारत के संविधान का मसौदा तैयार करनेवाली समिति की स्थापना की गई थी और इसके अध्यक्ष के तौर पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की नियुक्ति हुई थी। संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति हिंदी और अंग्रेजी दोनों में ही हस्तलिखित और कॉलीग्राफ्ड थी। इसमें किसी भी तरह की टाइपिंग या प्रिंट का इस्तेमाल नहीं किया गया था।
संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे। ये संख्या देश विभाजन के बाद घटकर 299 ही रह गई थी। आजादी के समय रियासतें हुआ करती थीं, उस दौरान हैदराबाद ही ऐसी रियासत थी जिसका कोई प्रतिनिधि संविधान सभा में शामिल नहीं था।
संविधान निर्माण के लिए पहली सभा संसद भवन में ही 9 दिसंबर, 1946 को बैठी थी। इसके निर्माण में कुल 2 साल 11 महीने और 18 दिन का वक्त लगा था। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया था जबकि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को इस कमेटी का चेयरमैन बनाया गया था।