नए कृषि कानूनों के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों के किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर डटे हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कानून के अमल पर अस्थाई तौर पर रोक लगा दी है, इसके बावजूद किसान कानून की वापसी की मांग पर अड़े हैं। किसान संगठनों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल सका है। इस बीच किसानों ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड भी निकालने का ऐलान किया है।
भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी किसान आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक हैं। राकेश टिकैत के पिता दिवंगत चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने भी लंबे समय तक किसानों की लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने कई मौकों पर किसानों का नेतृत्व किया था। कहते हैं कि चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत से सीएम से लेकर पीएम तक थर्राते थे।
CM को आना पड़ा टिकैत के गांव: साल 1986 में बिजली दर बढ़ाए जाने के खिलाफ चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों ने एक बड़ा आंदोलन शुरू किया था। किसानों ने यूपी के शामली में करमूखेड़ी बिजलीघर का घेराव किया था। किसानों की तादाद बढ़ती जा रही थी। यह देखकर पुलिस प्रशासन इस कदर डर गया कि किसानों को रोकने के लिए उनपर फायरिंग कर दी, जिसमें दो किसानों की मौत हो गई थी।
करमूखेड़ी घटना के बाद पूरे पश्चिमी उत्तरप्रदेश के किसान राज्य सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए थे। इसके बाद उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह को महेंद्र सिंह टिकैत के गांव सिसौली आना पड़ा था।
हाथ से पिलाया गया सीएम को पानी: धीरे-धीरे आंदोलन की आग पूरे यूपी में फैल गई और ‘बिजली दर वापस लो’ का नारा जोर पकड़ने लगा। इसके बाद 1987 में महेंद्र सिंह टिकैत के गांव सिसौली में एक महापंचायत आयोजित की गई, इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह भी पहुंचे थे। इसी बीच वीर बहादुर सिंह ने पानी पीने की इच्छा जाहिर की तो उन्हें मंच पर ही हाथ से पानी पिलाया गया।
तब इस तरह के आंदोलनों में किसान करवे से ही पानी पीते थे। कोई व्यक्ति मटके से पानी गिराता और दूसरा व्यक्ति हाथ पर रोपकर इसे पी लेता था। वीर बहादुर सिंह ने इस तरह से पानी पिलाने को अपने अपमान के तौर पर देखा। इसी दौरान जब टिकैत मंच पर बोलने खड़े हुए तो उन्होंने सीएम की मौजूदगी में ही उन्हें काफी भला-बुरा कहा। इन दोनों घटनाओं से वीर बहादुर सिंह काफी नाराज हुए और बगैर बातचीत के ही लखनऊ वापस लौट गए थे।