Breastfeeding Tips: हर मां के जीवन का एक अहम हिस्सा होता है ब्रेस्ट फीडिंग कराने का समय। शिशु की सेहत के लिए मां के दूध को ही सबसे बेहतर दवा माना जाता है। इसमें नवजात की सेहत के लिए जरूरी कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं। शिशु के ओवरॉल डेवेलपमेंट के लिए जरूरी न्यूट्रिएंट्स ब्रेस्ट मिल्क में पाए जाते हैं। स्तनपान मां के लिए भी उतना ही फायदेमंद है जितना कि बच्चे के लिए। एक शोध में यह भी बताया गया है कि स्तनपान कराने वाली मां के जीवन में दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। हालांकि, स्तनपान कराने वाली महिलाओं के मन में इससे जुड़े कई सवाल आते हैं, जिनमें से एक है कि क्या बुखार होने पर महिलाओं को बच्चों को स्तनपान कराना चाहिए।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ: स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार बुखार के दौरान महिलाएं बच्चों को दूध पिला सकती हैं। उनका मानना है कि स्तनपान के जरिये बच्चों में बुखार पास होने की आशंका बेहद कम होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रेस्ट मिल्क में एंटीबॉडीज मौजूद होती हैं। इससे शिशु के शरीर में संक्रमण से लड़ने के लिए शक्ति मिलती है।

स्तनपान के दौरान दवाइयों का सेवन: अक्सर ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाओं के मन में ये उलझन रहती है कि इस दौरान उनके द्वारा की गई दवाइयों के सेवन से शिशु पर भी प्रभाव पड़ता है या नहीं। कई बार किसी शारीरिक परेशानी के कारण महिलाओं को कुछ दवाइयों का सेवन करना पड़ता है। ऐसे में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं के लिए पैरासिटामोल खाना बेहतर उपाय हो सकता है। आइब्रूफिन और एस्पिरिन खाने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि ये ब्रेस्ट के जरिये आपके बच्चों में भी जा सकते हैं और हानिकारक साबित हो सकते हैं। वहीं, कई स्थिति में डॉक्टर किसी भी दवाई के सेवन के दौरान महिलाओं को स्तनपान न करानी की सलाह भी दी सकते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चों को दूध पिलाने के लिए पंप का इस्तेमाल कर सकती हैं।

कब तक जरूरी है मां का दूध: जन्म के कुछ महीनों तक मां का दूध ही बच्चे के पोषण का मुख्य स्रोत होता है। ब्रेस्ट मिल्क से ही शिशु में पोषक तत्वों की पूर्ति होती है और इसी से बच्चे का विकास होता है। इसमें मौजूद गाढ़े पीले रंग का पदार्थ कोलेस्ट्रम बच्चों की ग्रोथ और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए बेहद जरूरी है। हालांकि, जब बच्चा 6 महीने से ज्यादा बड़ा होने लगता है तो केवल मां का दूध ही उसके लिए पर्याप्त नहीं होता है, उसकी भूख बढ़ जाती है। इसलिए इसके बाद से बच्चों को दूध के अलावा ठोस आहार देना भी शुरू कर दिया जाता है।