Kareena Kapoor Tips on Breast Feeding: नवजात बच्चे के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है। डॉक्टर्स शुरुआती 6 महीनों तक बच्चों को केवल मां का दूध पिलाने की ही सलाह देते हैं। यही नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार भी महिलाओं को जन्म के 1 घंटे के अंदर बच्चों को स्तनपान कराना चाहिए। हालांकि, हमारे देश में आज भी लोगों में ब्रेस्ट फीडिंग के महत्व को लेकर जागरुकता की कमी है, ऐसे में जरूरत है कि परिवारों को खासकर कि महिलाओं को ब्रेस्ट फीडिंग से जुड़ी जानकारियां प्राप्त हो, साथ ही बच्चों के सेहत के लिए मां का दूध कितना जरूरी है ये भी उन्हें मालूम हो। आइए जानते हैं ब्रेस्ट फीडिंग को लेकर क्या कहती हैं करीना कपूर खान।

शिशु के लिए जरूरी है मां का दूध: बॉलीवुड की बेहतरीन अदाकाराओं में से एक करीना कपूर खान ने 2016 में तैमूर को जन्म दिया था। अपने बच्चे को लेकर बेहद प्रोटेक्टिव करीना ने ‘पेरेंट सर्किल’ को दिए गए अपने इंटरव्यू में बताया कि ब्रेस्ट मिल्क ही बच्चों के लिए सर्वश्रेष्ठ है। अगर आप अपने बच्चों की जिंदगी को सही शुरुआत देना चाहते हैं तो शिशु के जन्म के पहले घंटे के अंदर ही स्तनपान करें। उन्होंने कहा कि मां के दूध से बेहतर बच्चे के लिए कुछ नहीं होता, इसलिए उन्हें कुछ भी और न दें।

बच्चों के लिए ऐसे फायदेमंद है ब्रेस्ट फीडिंग: ब्रेस्ट फीडिंग से पहली बार बने दूध को कोलोस्ट्रम कहा जाता है जो नवजात बच्चों के लिए बेहद लाभकारी होता है। कोलोस्ट्रम में इम्यूनोग्लोबिन का आइजीए (IGA) मौजूद होता है जो बच्चों को कई इंफेक्शन्स और वायरस, बैक्टीरिया से दूर रखता है। कोलोस्ट्रम में एंटीबॉडीज होते हैं जो बच्चों को हर बीमारी और एलर्जीज से दूर रखते हैं। इसके अलावा, बच्चों के ग्रोथ, विकास और आइक्यू क्षमता बढ़ाने में भी मां का दूध मददगार होता है।

ब्रेस्ट फीडिंग है एक नैचुरल कॉन्ट्रासेप्टिव: ‘इंडसपेरेंट’ में छपी खबर के अनुसार, स्तनपान कराने से महिलाओं में प्रोलैक्टिन रिलीज होता है जिससे ओव्युलेशन का चांस कम होता है। इस वजह से ब्रेस्ट फीडिंग को नैचुरल कॉन्ट्रासेप्टिव भी कहा जाता है। वहीं, महिलाओं के लिए भी ब्रेस्ट फीडिंग बेहद जरूरी है। इससे महिलाओं में गर्भाशय का इंवॉल्यूशन होता है जिससे महिलाओं के फिगर को मेंटेन होने में मदद मिलती है। इसके अलावा, ब्रेस्ट फीडिंग से पोस्टपार्टम डिप्रेशन का खतरा भी कम होता है। साथ ही साथ, इससे शरीर में ऑक्सीटॉक्सिन पैदा होते हैं जो महिलाओं में पोस्टपार्टम हैमरेज के खतरे को कम करते हैं।