Ultimate Guide for Bikaner Camel Festival 2025: राजस्थान के बीकानेर में हर साल की तरह इस साल भी अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव (Bikaner International Camel Festival) का आयोजन होने वाला है। दो दिनों तक चलने वाले इस अंतरराष्ट्रीय कैमल फेस्टिवल में बड़े पैमाने पर ऊंट भाग लेते हैं। इसमें शामिल होने वाले ऊंट सज धज कर आते हैं।
कहां-कहां होता है ऊंट महोत्सव
ऊंट सिर्फ एक पशु ही नहीं है, बल्कि यह राजस्थान की संस्कृति की आन बान शान है। इसका जिक्र सदियों से राजस्थानी काव्य और पहेलियों में भी देखने को मिल जाता है। राजस्थान के कई हिस्सों में ऊंट महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें बीकानेर, पुष्कर और जैसलमेर शामिल है।
ऊंटों के सम्मान में होता है अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव
रेगिस्तान का जहाज कहे जाने वाले ऊंटों के सम्मान में हर साल बीकानेर में ऊंट महोत्सव का आयोजन किया जाता है। ऐसे में अगर आप भी अगर इस महोत्सव में जाने का प्लान बना रहे हैं तो हम आपके लिए सभी जानकारी लेकर आए हैं।

रेगिस्तान का जहाज है ऊंट
ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है। रेगिस्तान में यात्रा करने के लिए ऊंट सबसे बेहतरीन और विश्वसनीय साधन है। ऊंट भारी सामान या फिर लोगों को लेकर आसानी से रेगिस्तान में यात्रा कर सकते हैं।
बीकानेर ऊंट महोत्सव का कब होगा आयोजन
हर साल की तरह इस साल भी बीकानेर में ऊंट महोत्सव का आयोजन होगा। यह ऊंट फेस्टिवल इस बार 11 और 12 जनवरी यानी शनिवार और रविवार के दिन आयोजित हो रहा है। हालांकि, इसका आगाज 10 जनवरी को ही हो जाएगा। वहीं, इस महोत्सव को लेकर जिला प्रशासन भी जूट गया है और तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं। राजस्थान पर्यटन विभाग इस उत्सव का मेजबानी कर रहा है।

रंगारंग कार्यक्रम के साथ होती है ऊंट फेस्टिवल की शुरुआत
हर साल अंतरराष्ट्रीय ऊंट महोत्सव (Bikaner Camel Festival in Hindi) की शुरुआत जूनागढ़ किले में ऊंटों के एक जुलूस के साथ होता है। इस जुलूस में ऊंटों को लगाम के साथ-साथ हार भी पहनाए जाते हैं, जिसको देखना एक रोमांच होता है। इस कार्यक्रम में शामिल होने देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं।
कई तरह के कार्यक्रमों का भी होगा आयोजन
मालूम हो कि अंतरराष्ट्रीय ऊंट महोत्सव का आगाज इस बार हेरिटेज वॉक के साथ 10 जनवरी को ही हो जाएगा। वहीं, अंतिम दिन 12 जनवरी को बीकानेर शहर से रायसर में कई तरह के आयोजन होंगे, जिसमें कबड्डी, सैंड आर्ट, खो-खो, घुड़दौड़, टग ऑफ वार आदि शामिल है।

कैसे पहुंचे बीकानेर?
आप दिल्ली से बीकानेर बस, ट्रेन और हवाई मार्ग से भी जा सकते हैं। अगर आप दिल्ली से बीकानेर बस से जाना चाहते हैं तो आप कश्मीरी गेट बस स्टैंड से बस पकड़ कर राजस्थान जा सकते हैं। बस का किराया 500 से 1000 रुपये के बीच का होता है। इसके अलावा आप ट्रेन से भी बीकानेर जा सकते हैं। आप बीकानेर जाने के लिए नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली दोनों रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़ सकते हैं। यहां आप हवाई मार्ग से भी जा सकते हैं। बीकानेर के करीब जोधपुर की सीधी उड़ान भी आप ले सकते हैं। आप यहां हवाई मार्ग से करीब डेढ़ घंटे में ही पहुंच सकते हैं।
सर्दी में घूमे बीकानेर
अगर आप बीकानेर जा रहे हैं तो यहां पर आप कुछ जगहों पर जाना न भुलें। बीकानेर में घूमने के लिए कई जगहें हैं, जहां पर आप घूम सकते हैं। बीकानेर में आप अपने पार्टनर के साथ भी जा सकते हैं। सर्दी के मौसम में यहां घूमना काफी बेहतर अनुभव देता है।
जूनागढ़ किला, बीकानेर
बीकानेर जाने वालों को जूनागढ़ किला जरूर घूमना चाहिए। यह देश के उन किलों में शामिल है, जिसको किसी ने नहीं भेद पाया। इस किले को साल 1588 में राजा राय सिंह ने बनवाया था। आप यहां आकर आकर्षक आंगनों, बालकनियों और कई तरह की शानदार खिड़कियों को भी देख सकते हैं।
रामपुरिया हवेली
बीकानेर में वैसे तो कई हवालियां है, लेकिन इनमें सबसे फेमस रामपुरिया हवेली है। इस हवेली का निर्माण लाल पत्थरों से किया गया है। इस हवेली में आपको तरह-तरह की खिड़कियां और प्रवेश द्वार भी देखने को मिल जाएंगे। इस हवेली में आप लकड़ी की शानदार नक्काशी को भी देख सकते हैं।
करणी माता मंदिर
करणी माता मंदिर बीकानेर में ही स्थिति है। इस मंदिर को चूहों वाला मंदिर भी कहा जाता है। यहां पर आपको हजारों की संख्या में काले और सफेद चूहे देखने को मिल जाएंगे। यहां चूहों को खाना खिलाना काफी शुभ माना जाता है। इस मंदिर को संगमरमर से बनाया गया है, जिसका मेन गेट चांदी से बना हुआ है। आगे पढ़िए- सर्दियों में जैसलमेर जाने का सबसे बेस्ट टाइम क्या है?