स्विमिंग करना कई लोगों का पसंदीदा होता है, खासकर गर्मी के मौसम में स्विमिंग करने से कई तरह से फायदा होता है। इसे फिटनेस के लिए अच्छी एक्टिविटी कहा जाता है, जिससे तन और मन फिट रहता है। लेकिन हर किसी के लिए अपने घरों में स्विमिंग पूल होना जरूरी नहीं है, इसलिए सार्वजनिक स्विमिंग पूल ही एकमात्र विकल्प बचा है।
जो आपको कम खर्चे में स्विमिंग का मजा लेने का मौका तो देता है, लेकिन स्विमिंग पूल के पानी में तैरने वाला इंफेक्शन आपको कई तरह की बीमारियां दे सकता है। इसलिए सतर्क रहें। क्योंकि इससे आपको कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यहां हम आपको पब्लिक स्विमिंग पूल में स्विमिंग करने के साइड इफेक्ट और उनसे बचने के तरीके के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं-
स्किन के लिए नुकसानदेह हो सकता है क्लोरीन
पब्लिक स्विमिंग पूल के पानी में बहुत सारे बैक्टीरिया पनप आते हैं जिन्हें मारने के लिए क्लोरीन का उपयोग किया जाता है। क्लोरीन एक बेहद शक्तिशाली केमिकल रसायन है। इसके कारण कई बार स्किन पर रैशेज निकल आते हैं। क्लोरीन के कारण त्वचा पर लालिमा, सूजन और खुजली होने लगती है और अगर यह बढ़ता है तो यह एक्जिमा का रूप भी ले सकता है।
क्लोरीन के सही मात्रा का होना चाहिए इस्तेमाल
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के अनुसार, यदि स्विमिंग पूल में क्लोरीन और पीएच स्तर सही नहीं हैं, तो तैराक बीमार हो सकते हैं। इसलिए कीटाणुओं को मारने के लिए पीएच स्तर 7.2, 7.6 और 7.8 होना चाहिए, ये मात्रा शरीर को नुकसान भी नहीं पहुंचाती है। इसके अलावा क्लोरीन की सही मात्रा ई-कोलाई जैसे बैक्टीरिया को कुछ ही मिनटों में नष्ट कर देती है। जबकि हेपेटाइटिस ए वायरस 16 मिनट में, जिआर्डिया 45 मिनट में और क्रिप्टोस्पोरिडियम जैसे कीटाणु 10 दिनों में नष्ट हो जाते हैं।
अमेरिका में 2014 से 2016 के बीच हुए एक शोध से पता चलता है कि क्रिप्टोस्पोरिडियम यानि कि स्वीमिंग पूल और वाटर पार्क में क्रिप्टोस्पोरिडियम से होने वाली बीमारी दोगुनी हो गई। क्रिप्टो एक परजीवी है जो हमारी आंतों और श्वास प्रणाली को प्रभावित करता है। यह लंबे समय तक दस्त का कारण भी बन सकता है। दरअसल, नहाते या तैराकी के दौरान जब पूल का गंदा पानी हमारे मुंह में चला जाता है तो दस्त होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा स्विमिंग पूल के गंदे पानी से भी ई-कोलाई और हेपेटाइटिस ए की समस्या हो सकती है।
फंगल इंफेक्शन का सबसे ज्यादा खतरा
भीषण गर्मी में लोग फंगल इंफेक्शन का सबसे ज्यादा शिकार हो जाते हैं और स्विमिंग पूल में तैरते समय यह इंफेक्शन और भी बढ़ जाते हैं। दरअसल, घर्षण (Abrase) के कारण जहां हमारे शरीर में नमी अधिक होती है वहां फंगल इंफेक्शन हो जाता है। जैसे अन्डरआर्म, जांघ, स्तन के नीचे या पैर की उंगलियों और उंगलियों के बीच इसकी संभावना बढ़ जाती है। कई बार ऐसा होता है कि एक संक्रमित व्यक्ति दूसरे लोगों को भी बीमार कर देता है। इसलिए स्विमिंग पूल में नहाते समय इन बातों का ध्यान रखें।
स्विमिंग के दौरान इन बातों का रखें ख्याल
वाटरप्रूफ सनस्क्रीन: सनस्क्रीन सिर्फ सूरज की किरणों से ही नहीं बल्कि क्लोरीन वाटर से भी स्किन को प्रोटेक्ट करता है और नष्ट होने से बचाता है।
नहाना है जरूरी: स्विमिंग पूल में जाने से पहले स्किन सेल्स का हाइड्रेटेड रहना बहुत ज्यादा जरुरी है। क्लोरीन वाटर में अधिक समय बिताने के बाद भी गुनगुने पानी से नहाना चाहिए। इससे क्लोरीन का जो भी असर होगा वह खत्म हो जाएगा।
बॉडी मसाज: डेली स्विमिंग करना पसंद है, तो कम से कम सप्ताह में एक बार डीप बॉडी मसाज जरूर लें, ताकि यह आपके स्किन को लाभ पहुंचाए।
विटामिन सी: आपकी स्किन रुखी न पड़े और स्किन के पीएच लेवल को बनाएं रखने के लिए विटामिन सी का सेवन करें।
हाइड्रेटेड रहें: दिन भर में इतना पानी पिएं कि आपकी त्वचा को नमी पूरा करने के लिए पूल के पानी का जरुरत न पड़ें।