बाबा रामदेव ने पूरी दुनिया में योग को मशहूर किया है। पतंजलि आयुर्वेद कंपनी के मुखिया बाबा रामदेव एक समय में हरिद्वार की सड़कों पर पर्चे बांटा करते थे। हालांकि, अब बाबा करोड़ों की कंपनी के मालिक हैं। लेकिन योग गुरू का यह सफर बिल्कुल भी आसान नहीं रहा। 1965 में हरियाणा के महेंद्रगढ़ में जन्में बाबा रामदेव का असली नाम राम किशन है।

जब बाबा रामदेव 8वीं स्कूल में थे, तो उन्हें लकवा मार गया, जिससे उनके शरीर का बायां हिस्सा खराब हो गया और उनकी एक आंख की रोशनी भी चली गई थी। इस घटना के बाद बाबा रामदेव ने अपना पूरा जीवन योग को समर्पित कर दिया, दीन-दुनिया से नाता छोड़ बाबा रामदेव रेवाड़ी में आचार्य बलदेव के आश्रम आ पहुंचे। यहीं पर उन्होंने अपना नाम राम किशन से बदलकर बाबा रामदेव रखा था। बता दें, बाबा रामदेव ने योग के जरिए ही अपना पूरा शरीर ठीक किया है।

रामनवमी का दिन बाबा रामदेव के लिए बेहद ही खास है। क्योंकि, उन्होंने इसी दिन ‘संयास’ का फैसला लिया था। इस बात का खुलासा बाबा रामदेव ने हाल ही में इंडियन आइडल के स्टेज पर किया। उन्होंने बताया, “27 साल पहले राम नवमी के मौके पर मैंने फैसला लिया था कि मैं एक साधारण जिंदगी जीऊंगा और सारे ऐशो-आराम त्याग दूंगा। राम नवमी मेरे दिल के बहुत ही करीब है। क्योंकि, इसी दिन मुझे एक नई जिंदगी मिली थी। जिसके बाद मैंने सादगी से एक साधारण जीवन जीना शुरू कर दिया।” बता दें, बाबा रामदेव जल्द ही ‘इंडियन आइडल 12’ के सेट पर पहुंचेंगे और अपनी जिंदगी से जुड़े कई किस्से बताएंगे।

बाबा रामदेव को आचार्य बलदेव ने दिया था वेदों का ज्ञान: योग गुरू बाबा रामदेव ने पाणिनी के संस्कृत व्याकरण, वेद और उपनिषदों की शिक्षा आचार्य बलदेव से हासिल की थी। इस बात का जिक्र अशोक राज की लिखी पुस्तक ‘द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ बाबा रामदेव’ में किया गया था।

बाबा रामदेव गांव-गांव में लगाते थे योग के कैंप: बाबा रामदेव ने योग का प्रचार जींद जिले में स्थित गुरुकुल कालवा से शुरू किया था। इस गुरुकुल के मुखिया आचार्य धर्मवीर थे। इस दौरान बाबा रामदेव दिनभर घूमकर गांवों में योग की शिक्षाएं दिया करते थे। इस दौरान वह ट्रेनिंग कैंप भी लगाया करते थे।