गठिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर को कई तरह से दर्द होता है। इसमें जोड़ों के दर्द और जकड़न के अलावा सब कुछ शामिल है। इनसे छुटकारा पाने के लिए लोग ज्यादातर दर्द निवारक दवाओं पर निर्भर रहते हैं, जिनके दूसरे साइड इफेक्ट भी होते हैं। ऐसे में एक पत्ता काफी कारगर पाया गया है, जिसका इस्तेमाल खाने को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है। इसे तेज पत्ता कहा जाता है और हाल ही में इसके नए गुणों की खोज की गई है। आमतौर पर तेज पत्ते का इस्तेमाल व्यंजनों की सुगंध बढ़ाने के लिए किया जाता है।

तेजपत्ते में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। आयुर्वेद के मुताबिक तेजपत्ते के तेल का इस्तेमाल दर्द को दूर करने के लिए भी किया जाता है। एक मेडिकल जर्नल नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन में इसकी खूबियों का जिक्र किया गया है। जर्नल के मुताबिक इसके इस्तेमाल से घाव जल्दी भरते हैं, इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं। इसके प्रयोग से घाव तेजी से भरता है और उस पर आवरण की परत तेजी से बढ़ती है।

तेज पत्ते में हाइड्रॉक्सीप्रोलाइन नामक एक तत्व पाया जाता है, जिसमें कोलेजन प्रचुर मात्रा में होता है। इंडोनेशिया में गठिया से पीड़ित 52 लोगों को तेज पत्ते से बना सूप दिया गया, जिससे उन्हें जोड़ों के दर्द से राहत मिली। शोधकर्ताओं ने बताया कि तेजपत्ते से भीगे लोगों को भी दर्द से राहत मिली।

तेज पत्ते के अन्य गुण

तेज पत्ते का उपयोग मलेरिया और पीलिया में भी किया जाता है। तेज पत्ते के प्रयोग से मलेरिया के मरीजों में तेजी से सुधार देखा गया है। वहीं आयुर्वेद के जानकारों के मुताबिक पीलिया के मरीजों को तेज पत्ते को दिन में दो से तीन बार चबाने की सलाह दी जाती है। यहां तक ​​कि कुछ शोधों में यह भी पाया गया है कि तेज पत्ते का सेवन कैंसर, खासकर ब्रेस्ट और कोलोरेक्टल कैंसर जैसी बीमारियों से भी बचाता है।

अध्ययनों से पता चला है कि यह कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। इसके पीछे कारण बताया जाता है कि तेज पत्ते में कैटेचिन, लिनालूल और पार्थेनोलाइड जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर से फ्री रेडिकल्स को दूर करते हैं। इसमें लिनालूल नाम का तत्व शरीर से तनाव को भी दूर करता है।