APJ Abdul Kalam Birth Anniversary (APJ Abdul Kalam Jayanti) Updates: मिसाइल मैन के नाम से मशहूर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का आज (15 अक्टूबर) 88वां जन्मदिवस है। बता दें कि उनका जन्म 1931 में तमिलनाडु के रामेश्वर में हुआ था। उनके पिता नाविक थे। घर की आर्थिक स्थिति इतनी ज्यादा खराब थी कि अपनी पढ़ाई के लिए कलाम को अखबार बेचने पड़ते थे। वह कहते थे, ‘सपना वो नहीं है, जो आप नींद में देखें। सपना वो है, जो आपको नींद ही न आने दे।’ उनके विचार आज भी हर युवा के दिल में जोश भर देते हैं।
पीएम मोदी ने कही यह बात: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘मैं डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को दिल से श्रद्धांजलि देता हूं। उन्होंने 21वीं सदी के भारत का ऐसा सपना देखा, जिसमें देश सशक्त हो और अपने लक्ष्य को हासिल कर सके। उनका आदर्श जीवन देश के लोगों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा। भारत डॉ. कलाम को उनकी जयंती पर सलाम करता है।’’
पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को 1981 में भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया था। इसके बाद 1990 में उन्हें पद्म विभूषण मिला। वहीं, 1997 में भारत रत्न प्रदान किया गया। कलाम देश के तीसरे ऐसे शख्स हैं, जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पहले भारत रत्न दिया गया। उनसे पहले सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन ने यह मुकाम हासिल किया था।
एपीजे अब्दुल कलाम को 1982 में डीआरडीएल (डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट लेबोरेट्री) का डायरेक्टर बनाया गया था। उसी दौरान अन्ना यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया। कलाम के नेतृत्व में ही स्वदेशी मिसाइलों के विकास के लिए एक कमेटी बनी थी।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मंगलवार को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को उनकी जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति भवन की विज्ञप्ति के अनुसार, कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में कलाम को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर राष्ट्रपति भवन के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ-साथ डॉ. कलाम के परिवार के सदस्यों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी।
देश को बैलेस्टिक मिसाइल और लॉन्चिंग टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनाने के लिए एपीजे अब्दुल कलाम को मिसाइल मैन भी कहा जाता है। 1982 में कलाम को डीआरडीएल (डिफेंस रिसर्च डिवेलपमेंट लेबोरेट्री) का डायरेक्टर बनाया गया था। उन्होंने तत्कालीन रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वीएस अरुणाचलम के साथ इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डिवेलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) का प्रस्ताव बनाया। इसकी मदद से पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश, नाग, ब्रह्मोस समेत कई मिसाइलें बनीं। देश की पहली मिसाइल डॉ. कलाम की देखरेख में ही बनी थी।
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम का अपनी मां से सबसे ज्यादा जुड़ाव था। बताया जाता है कि उन्हें मां आशियम्मा के हाथ का बना खाना सबसे ज्यादा पसंद था। केले के पत्ते पर मां के हाथ की बनी नारियल की चटनी के साथ चावल और सांभर खाना उन्हें जीवन भर याद रहा। जब तक मां जीवित रहीं, वह उनके साथ रसोई में ही खाना खाते थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को उनकी 88 वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि उनका आदर्श जीवन देशवासियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा। मोदी ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। उन्होंने 21वीं सदी के सक्षम और समर्थ भारत का सपना देखा और इस दिशा में अपना विशिष्ट योगदान दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ उनका आदर्श जीवन देशवासियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा। भारत डा. ए पी जे अब्दुल कलाम को उनकी जयंती पर सलाम करता है। ’’
डॉ. अब्दुल कलाम आजाद 1962 में इसरो पहुंचे थे। जब वह प्रोजेक्ट डायरेक्टर थे, जब देश का पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बना था। वहीं, 1980 में उन्होंने रोहिणी सैटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा के पास स्थापित किया, जिसके बाद भारत इंटरनेशनल स्पेस क्लब का सदस्य बना।
डॉ. अब्दुल कलाम कहते थे, ‘‘जीवन में कठिनाइयां हमें बर्बाद करने के लिए नहीं आतीं, बल्कि यह हमारी छिपे हुए सामर्थ्य और शक्तियों को बाहर निकलने में मदद करती हैं। कठिनाइयों को यह जान लेने दो कि आप उससे भी ज्यादा कठिन हो।
बताया जाता है कि महज 8 साल की उम्र से ही कलाम सुबह 4 बजे उठ जाते थे। इसके बाद वह नहाकर गणित पढ़ने जाते थे। सुबह नहाकर जाने के पीछे वजह थी कि मुफ्त में गणित पढ़ाने वाले उनके टीचर बिना नहाए आए बच्चों को नहीं पढ़ाते थे। ट्यूशन से आने के बाद कलाम नमाज पढ़ते थे और इसके बाद रामेश्वरम रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर न्यूज पेपर बेचते थे।
एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। उनके पिता नाविक थे और मछुआरों को नाव किराए पर देते थे। अपनी शुरुआती पढ़ाई जारी रखने के लिए कलाम ने अखबार भी बेचे थे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘‘पूर्व राष्ट्रपति व अभूतपूर्व वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को उनकी जयंती पर नमन। वह भारत के आम लोगों के राष्ट्रपति थे, जो हमेशा उनके दिल-ओ-दिमाग में जीवित रहेंगे। मैं उन्हें नमन करता हूं।’’
डॉ. कलाम देश के टॉप वैज्ञानिक रहे। साथ ही, राष्ट्रपति भी बने। वे करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्रोत रहे। अपनी वाक कला से हजारों लोगों को मंत्र-मुग्ध करते रहे। युवाओं में नया करने का जोश और हौसला भरते रहे। इसके बावजूद वे अपनी ट्विटर प्रोफाइल पर खुद को एक 'लर्नर' ही बताते रहे।
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम था। वह एक मछुआरे के बेटे थे, जो शुरुआत में अखबार बेचते थे।
पूर्व प्रधानमंत्री व दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ. अब्दुल कलाम काफी अच्छे दोस्त थे। वाजपेयी अक्सर कहा करते थे कि कलाम के निर्णय हजारों सूर्य की रोशनी देने जैसे थे।
मिसाइल मैन के नाम से मशहूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम कहते थे, ‘‘असफलता कभी मुझे पछाड़ नहीं सकती, क्योंकि मेरी सफलता की परिभाषा बहुत मजबूत है।’’
बताया जाता है कि डॉ. अब्दुल कलाम बचपन में पायलट बनने का सपना देखते थे, लेकिन किन्हीं कारणों से ऐसा नहीं हो सका। हालांकि, उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने बतौर वैज्ञानिक देश को मिसाइल टेक्नोलॉजी में विश्वस्तरीय बनाया। एक राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने करोड़ों भारतवासियों को सपने देखने और उन्हें पूरा करने की प्रेरणा भी दी। उनके विचार युवाओं के लिए बेहद प्रेरक रहे हैं।