लेकिन हाल में सौरव गांगुली हृदयाघात के शिकार हो गए और सोशल मीडिया पर कंपनी के प्रचार की इतनी खिंचाई हुई कि उसे गांगुली से जुड़े विज्ञापन सभी मंचों से हटाने पड़े। दिल के कथित रक्षक तेल की खिंचाई करते हुए पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने ट्विटर पर गांगुली को जल्द स्वस्थ होने की शुभकामनाएं देते हुए लिखा- ‘दादा आप जल्द स्वस्थ हों। हमेशा जांचे-परखे प्रोडक्ट्स को प्रमोट कीजिए। सचेत रहें और सावधान रहें। ईश्वर की कृपा बनी रहे’।
दिल की बीमारी के कई कारण हो सकते हैं और कोई भी इसका शिकार हो सकता है। लेकिन जब असली नायक आम आदमी की तरह ही बीमार पड़ता दिखता है तो फिर दर्शकों की आलोचना से भी नहीं बचा जा सकता है। विज्ञापनों में तेल और दिल की जोड़ी के लिए अक्सर असली किरदारों का इस्तेमाल किया जाता रहा है।
नब्बे के दशक के बाद विज्ञापनों ने ऐसा माहौल बनाया था कि जिसने रिफाइंड तेल नहीं खाया उसका दिल तो कभी भी जवाब दे सकता है। लोगों की रसोई में इसकी सबसे ज्यादा धमक हुई। लेकिन अब तस्वीर उलटी है और आम घरों में रिफाइंड तेल को सेहत का सबसे बड़ा दुश्मन घोषित किया जा रहा है।
लोग सरसों तेल और घर में बने घी की ओर लौट कर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। रिफाइंड तेल को वैज्ञानिकों ने नहीं, विज्ञापनों ने घर-घर की पहली जरूरत बनाया था और लंबे समय के अनुभव के बाद लोगों ने इसे नकारना शुरू किया। लेकिन ऐसे छोटे-छोटे हादसों से बाजार घबराता नहीं और वह असल जिंदगी के नायकों के जरिए लोगों की नकली जरूरत पैदा करता ही रहता है। यह एक ऐसा खेल है जो शुरू तो हुआ सेहत की चिंता के नाम पर अब सेहत खुद इस खेल का शिकार है। समाज से लेकर सरकार तक कोई भी इस खेल को रोक पाने में सफल नहीं है। ल्ल
अशुद्धता का शहद
हाल में सेंटर फॉर साइंस एंट एनवायरमेंट (सीएसई) की तरफ से एक रिपोर्ट जारी हुई जिसके अनुसार देश में ज्यादातर बिकने वाले शहद के ब्रांड चीनी के घोल साबित हुए। इसमें वो कंपनी भी थी जिसने चट मंगनी पट ब्याह की तर्ज पर कोरोना की दवा निकालने का भी दावा कर दिया था और टीवी चैनलों पर उसे एक क्रांति की तरह दिखाया जा रहा था।
लेकिन बाद में किसी ने भी यह सवाल नहीं पूछा कि जो कंपनी शुद्ध शहद तक नहीं बना सकती है वो कोरोना की दवा बनाने की साख कैसे जुटा सकती है। ज्यादातर आयुर्वेद की दवाओं और घरेलू नुस्खों में शहद का इस्तेमाल होता है। लेकिन हमारी सरकार ने इस खबर को तवज्जो ही नहीं दी कि देश में शहद के नाम पर चीनी सीरप मिल रहा है। न ही किसी नागरिक संगठन ने इसे बड़े खतरे की तरह लिया।