Dilip Kumar Life Story:  बॉलीवुड के ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार ने दुनिया को 98 साल की उम्र में अलविदा कह दिया। बुधवार सुबह उन्होंने मुंबई के एक अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली। दिलीप कुमार के निधन के साथ ही हिंदी सिनेमा के एक युग का अंत भी हो गया है। बॉलीवुड में शौक की लहर दौड़ गई है। पिछले दिनों ही उनकी पत्नी सायरा बानो ने मीडिया को बताया कि दिलीप कुमार की इम्युनिटी कमजोर हो गई है। इस वजह से उन्हें कमजोरी महसूस हो रही है। उन्होंने लोगों से दरख्वास्त की है कि वे सब दिलीप साहब की अच्छी सेहत के लिए दुआ करें। पाकिस्तान के पेशेवर में सन् 1922 में जन्में दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान था। 12 भाई-बहनों में से एक दिलीप का बचपन तंगहाली में ही गुजरा था। विभाजन के बाद परिवार सहित वो मुंबई आ गए।

36 रुपये थी पहली कमाई: मुंबई आने के बाद पूरे परिवार को कई आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा। तब दिलीप कुमार ने पुणे के एक आर्मी क्लब में सैडविच स्टॉल पर काम करना शुरू किया। अपनी पहली नौकरी के मेहनताना के तौर पर उन्हें मात्र 36 रुपये मिला करते थे।

इसलिए बदल लिया था नाम: मोहम्मद यूसुफ खान यानी दिलीप कुमार ने फिल्मों में आने से पहले ही अपना नाम बदल लिया था। माना जाता है कि उन दिनों बॉलीवुड में हिंदू नामों का बोलबाला था, इसलिए उन्होंने अपना नाम बदला था। बताया जाता है कि एक्ट्रेस देविका रानी ने ही उनका  नाम दिलीप कुमार रखा  था।

ट्रैजेडी किंग दिलीप कुमार: दिलीप कुमार ने अपनी अधिकतर फिल्मों में त्रासद भूमिकाएं ही निभाई थीं। इस कारण उन्हें फैंस ने ट्रैजेडी किंग का नाम दिया गया था। बता दें कि उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत फिल्म ज्वार भाटा से साल 1944 में की।

22 साल छोटी हैं पत्नी: कुछ असफल रिश्तों के बाद दिलीप कुमार की जिंदगी में सायरा बानो ने कदम रखा। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि महज 12 साल की उम्र से वो दिलीप कुमार से शादी करना चाहती थीं। बता दें कि सायरा बानो दिलीप कुमार से उम्र में 22  साल छोटी थीं। उन दोनों ने सगीना महतो, गोपी और बैराग जैसी फिल्मों में साथ काम किया है। साल 1966 में दिलीप कुमार और सायरा बानो ने शादी कर ली।

कितनी है प्रॉपर्टी: देवदास, नया दौर, मुगल-ए-आजम, जुगनू, शहीद, दाग जैसी फिल्मों में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुके दिलीप कुमार की कुल संपत्ति मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 604 करोड़ 63 लाख से भी अधिक है। उन्हें पद्मभूषण, दादा साहब फाल्के और सर्वोच्च सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।