Belly Piercing disadvantages: नाभि छिदवाना बहुत लोकप्रिय हैं, खासकर युवा लड़कियों, किशोरों और युवा वयस्कों के बीच। नाभि छिदवाने के बाद उस जगह पर जल्दी घाव भर जाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उसके कारण कभी कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। नाभि छिदवाने के भी अपनी अलग जटिलताएं होती हैं। नाभि छिदवाने से कई को इंफेक्शन होने का खतरा रहता है तो कई को उस हिस्से पर सूजन और दर्द होने लगता है। कई मामलों में नाभि छिदवाने के बाद उस हिस्से में पस भर जाते हैं जिसके कारण कई बार छेद बंद करना भी पड़ जाता है। ऐसे में यदि नाभि छिदवाने की सोच रहे हैं तो आपको बहुत सी बातों पर ध्यान देना होगा।
इंफेक्शन:
जब भी नाभि छिदवाते हैं तो इंफेक्शन होने का खतरा अधिक रहता है। कई बार तो यह एक गंभीर समस्या भी बन जाता है। इंडिया पेरेंटिंग के अनुसार, नाभि छिदवाना बाकि किसी भी अन्य प्रकार की पियर्सिंग से मुकाबले अधिक इंफेक्टेड हो सकता है। आपका बेली बटन और पियर्सिंग के आसपास की स्किन आसानी से पसीने और बैक्टीरिया के संपर्क में आ सकती है।
इन्जरी हो सकती है:
नाभि में पियर्सिंग करवाने के बाद उस हिस्से को चोट लगने से बचाना चाहिए। यदि आपके कपड़े में फंसकर निकल गया तो ब्लड निकल सकता है और घाव बढ़ सकता है। इसलिए पियर्सिंग करवाने के 1-2 सप्ताह तक उस हिस्से को बचाकर रखना चाहिए। बाद में वहां कपड़ा फंसने से बचाना चाहिए।
मेडिकल रिस्क:
कुछ लोग, विशेष रूप से महिलाएं, पियर्सिंग वाले मटेरियल से जल्दी एलर्जिक हो जाती हैं और इस वजह से उन्हें दर्द, खुजली, जलन और सूजन का अनुभव करना पड़ता है। यदि आपका पियर्सर सावधानीपूर्वक पियर्सिंग नहीं करता है तो आपका परमानेंट नर्व डैमेज हो सकता है। साथ ही वह एक प्रमुख रक्त वाहिका को भी छेद सकता है।
वेट गेन और प्रेग्नेंसी:
गर्भावस्था के दौरान या वेट गेन के बाद, आपकी पियर्सिंग स्ट्रेच हो सकती है और इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ सकता है। पसीना और बैक्टीरिया ऐसे में अधिक विकसित होते हैं। इसके अलावा इसकी वजह से असहजता महसूस भी होने लगती है।
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