सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के एक मामले में 10 दोषियों को बरी करते हुए अपने फैसले में अहम बातें कही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 7 बिंदु तय किए हैं, जिससे यह पता लगाया जा सकेगा कि किसी मामले में घटना स्थल पर मौजूद कोई शख्स वहां इकट्ठा हुई गैर कानूनी भीड़ का हिस्सा था या सिर्फ वहां मौजूद था।

अदालत ने कहा कि अगर कोई शख्स किसी घटना स्थल पर मौजूद है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह इस भीड़ का हिस्सा है, जब तक यह साबित न हो जाए कि उसका और भीड़ में शामिल लोगों का उद्देश्य एक ही था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाल और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने यह फैसला सुनाया।

शीर्ष अदालत ने कहा कि यह पता करने के लिए कि कोई शख्स वाकई किसी भीड़ का हिस्सा था या नहीं, जांच के दौरान सात बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

1- वह समय और जगह जहां पर लोग इकट्ठा हुए।
2- अपराध वाली जगह पर या उसके पास मौजूद लोगों का बर्ताव कैसा था।
3- सभा में मौजूद लोगों का व्यवहार।
4- अपराध किस मकसद से किया गया।
5- घटना कैसे हुई।
6- किस तरह के हथियार लाए और इस्तेमाल किए गए।
7- किस तरह की चोट लगी, कितनी चोटें लगी और अन्य जरूरी बातें।

जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस महादेवन की बेंच ने कहा कि कोई शख्स जिसकी भीड़ में कोई खास भूमिका नहीं हो, वह आईपीसी की धारा 149 के दायरे में नहीं आएगा।

सुप्रीम कोर्ट के एमिकस ने कैडेट अफसरों के लिए पुनर्वास योजना का दिया सुझाव

क्या था यह मामला?

अदालत हत्या के एक मामले में 10 दोषियों की अपील पर सुनवाई कर रही थी। यह मामला बिहार के कटिहार जिले का है, जहां पर स्थानीय पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। एफआईआर में कहा गया था कि धान की फसल को लेकर झगड़ा हुआ और इसमें दो लोगों की मौत हो गई थी।

स्थानीय पुलिस ने 10 लोगों को हत्या और अवैध रूप से घटना स्थल पर इकट्ठा होने के मामले में आरोपी बनाया। इन सभी लोगों को पटना हाई कोर्ट से भी राहत नहीं मिली और उसके बाद इन्होंने अपनी सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

सुप्रीम कोर्ट ने सभी दोषियों को बरी कर दिया। अदालत को जांच में खामियां मिलीं और FIR को लेकर भी कोर्ट ने संदेह जताया।

‘संदेह सबूत की जगह नहीं ले सकता’