सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक केंद्रों और अस्पतालों जैसे संस्थागत क्षेत्रों में कुत्तों द्वारा काटे जाने के मामलों में ‘खतरनाक वृद्धि’ पर शुक्रवार को गौर करते हुए निर्देश दिया कि ऐसे कुत्तों को निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में भेजा जाना चाहिए। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन वी अंजारिया की विशेष पीठ ने आवारा कुत्तों के मामले में कई निर्देश पारित किए।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की बड़ी बातें
- विशेष पीठ ने प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि राजमार्गों और एक्सप्रेसवे से मवेशियों और अन्य आवारा पशुओं को हटाना एवं उनका निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में स्थानांतरण सुनिश्चित किया जाए।
- पीठ ने प्राधिकारियों को सरकारी एवं निजी शैक्षणिक संस्थानों और अस्पतालों आदि के परिसरों में आवारा कुत्तों का प्रवेश रोकने का निर्देश दिया ताकि कुत्तों द्वारा काटे जाने की घटनाओं को रोका जा सके।
- पीठ ने निर्देश दिया कि ऐसे संस्थानों से हटाए गए आवारा कुत्तों को वापस उन्हीं स्थानों पर नहीं छोड़ा जाए।
- पीठ ने प्राधिकारियों को NHAI सहित राजमार्गों के उन हिस्सों की पहचान करने के लिए एक संयुक्त अभियान चलाने को कहा, जहां आवारा जानवर अक्सर पाए जाते हैं।
मामले में आगे की सुनवाई के लिए 13 जनवरी की तारीख निर्धारित की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने तीन नवंबर को कहा था कि वह उन संस्थागत क्षेत्रों में कुत्तों के काटने की गंभीर समस्या से निपटने के लिए अंतरिम दिशानिर्देश जारी करेगा, जहां कर्मचारी आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं और उन्हें प्रश्रय देते हैं।
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