दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि अजमेर शरीफ़ दरगाह में इमारतें गिराने के प्रस्तावित फैसले पर सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि सरकार अस्पष्ट नोटिस के आधार पर कार्रवाई नहीं कर सकती। कोर्ट का मतलब था कि बिना स्पष्ट और सही जानकारी दिए कोई कार्रवाई नहीं हो सकती।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि 13वीं सदी की सूफ़ी दरगाह में किसी भी इमारत को गिराने से पहले स्टेकहोल्डर्स को कारण बताओ नोटिस देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार को नेचुरल जस्टिस यानी “न्याय के बुनियादी नियमों” का पालन करना चाहिए। यानी फैसला लेने से पहले लोगों को अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए।
हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, “आप सिर्फ बुलडोजर लेकर जाकर सब कुछ खत्म नहीं कर सकते। आपका नोटिस बहुत ही अस्पष्ट है।”
कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसे दरगाह के वंशानुगत खादिम सैयद मेहराज़ मियां ने दायर किया था। इस याचिका में उन्होंने कोर्ट से कहा कि केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय और दरगाह कमेटी के नाज़िम को निर्देश दिया जाए कि वे 22 नवंबर के आदेश को वापस लें।
इसमें कहा गया था कि आदेश में दरगाह परिसर के अंदर और बाहर कई स्थायी और अस्थायी निर्माणों को गिराने का निर्देश दिया गया है, जिसमें खादिमों की सीटें भी शामिल हैं, बिना उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का कोई मौका दिए।
सीनियर एडवोकेट शादान फरासत और एडवोकेट चयन सरकार याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए और कहा कि जिन निर्माणों को गिराने की बात कही जा रही है, वे अतिक्रमण नहीं हैं। फरासत ने कहा कि फिलहाल, दरगाह का प्रबंधन करने के लिए कोई दरगाह कमेटी नहीं है और दरगाह के मामलों का प्रबंधन सरकार द्वारा नियुक्त एक नाज़िम कर रहा है, जिसके पास ऐसे निर्देश जारी करने की शक्ति नहीं है।
केंद्र सरकार के स्थायी वकील (CGSC) अमित तिवारी सरकार की ओर से पेश हुए और याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने अस्थायी ढांचे बनाए हैं। तिवारी ने आगे कहा कि नाज़िम पद पर है और कमेटी की सभी शक्तियों का प्रयोग नाज़िम द्वारा किया जाता है।
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इस बीच, कोर्ट ने कहा कि 6 नवंबर को उसने केंद्र सरकार को तीन महीने के भीतर अजमेर शरीफ दरगाह कमेटी का गठन करने का निर्देश दिया था, लेकिन इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है। इसके बाद, कोर्ट ने केंद्र सरकार को दरगाह की कमेटी बनाने की प्रक्रिया में तेज़ी लाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को परिसर में बने स्ट्रक्चर को हटाने से पहले कारण बताओ नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी नंबर 1 (केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय) दरगाह कमेटी के गठन में तेज़ी लाएगा। इसे जल्द से जल्द किया जाए। कोई भी जल्दबाजी वाला कदम उठाने से पहले, प्राकृतिक न्याय का पालन किया जाएगा। इस मामले में अगली सुनवाई 23 फरवरी, 2026 को होगी।
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