संदीप भूषण

विश्व कप 2019 की मेजबानी इंग्लैंड कर रहा है। यह वही टीम है जिसे 2015 विश्व कप में बांग्लादेश के खिलाफ हार के बाद पहले चरण से बाहर होना पड़ा था। इस शर्मनाक प्रदर्शन के बाद इंग्लैंड ने अपने आप को काफी हद तक बदल लिया है। आज वह दुनिया की नंबर एक टीम है। इसके पीछे के कारणों पर बात की जाए तो उसने अपने स्पिन आक्रमण को मजबूत करने पर काफी काम किया है। उसने कलाई के स्पिनरों को तैयार किया और बीते चार साल में फर्श से अर्श तक का सफर तय किया। पिछले कुछ साल से भारतीय टीम भी इस रणनीति पर तेजी से काम कर रही है। उसने अपने स्पिन आक्रमण में युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव जैसे दमदार कलाई स्पिनर शामिल किए हैं। चहल के बचपन से कोच रहे रणधीर सिंह ने कलाई के स्पिनरों की खासियत और उपयोगिता पर खास बातचीत की है।

जिंबाब्वे के खिलाफ 2016 में एकदिवसीय में पदार्पण करने वाले युजवेंद्र चहल ने कुछ ही समय के भीतर भारतीय टीम में मजबूत जगह बनाई है। वे कप्तान विराट कोहली के चहेते बन गए। उनके निरंतर प्रदर्शन ने क्रिकेट जगत में उन्हें बेहतरीन स्पिनर के तौर पर पहचान दिलाई। युजवेंद्र के कोच रणधीर सिंह का भी यही मानना है। उन्होंने कहा कि आज कलाई के स्पिनरों की पूरी दुनिया में धूम है। युजवेंद्र भी उसी रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं। सिंह ने कहा कि आज भारतीय टीम विश्व कप के प्रबल दावेदारों में शामिल है। साथ ही यह चर्चा भी है कि टीम का गेंदबाजी आक्रमण पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गया है। इसमें कोई शक नहीं कि कलाई के स्पिनरों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

रणधीर सालों से घरेलू क्रिकेट के लिए खिलाड़ी तैयार कर रहे हैं। यही खिलाड़ी बाद में देश के लिए खेलते हैं। कभी आइपीएल में बड़ी बोली के लिए चर्चा में आए पवन नेगी भी उन्हीं के मार्गदर्शन में क्रिकेट का ककहरा सीखा है। रणधीर ने कहा कि जब हम खिलाड़ियों को घरेलू क्रिकेट के लिए तैयार करते हैं तो उन्हें कहा जाता है कि आप 90 फीसद तकनीक और 10 फीसद अपने दिमाग का इस्तेमाल करें। लेकिन, जब बात अंतरराष्ट्रीय मैचों की होती है तो हम उन्हें बताते हैं कि वहां आप इसके उलट करेंगे। वहां जो खिलाड़ी मैच प्रेशर को झेलने में सफल रहा वही सफल होता है। चहल के मामले में यह बात लागू होती है।

जब रणधीर से यह पूछा गया कि ऐसा क्यों है कि चहल को विराट कोहली का पसंदीदा खिलाड़ी कहा जाता है तो उन्होंने कहा कि जब कोई खिलाड़ी अच्छा खेलेगा तो जाहिर है कि उसका कप्तान उसकी सराहना करेगा। चहल हमेशा से ही कोहली की उम्मीदों पर खड़े उतरे हैं। चाहे बात बंगलुरु की टीम से खेलने की हो या भारतीय टीम से, दोनों में ही उन्होंने जरूरत के समय टीम को सफलता दिलाई है। उन्होंने कहा कि कौन ऐसा कप्तान होगा जो नहीं चाहेगा कि उसकी टीम में एक मैच विनर खिलाड़ी हो।चहल के हाल के प्रदर्शन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि जब भारतीय टीम आस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी तब इस कलाई के स्पिनर का प्रदर्शन लाजवाब रहा था। उन्होंने मेलबोर्न में आस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे और निर्णायक मैच में 42 रन देकर छह विकेट चटकाए थे। यह साबित कर रहा है कि वह शानदार फॉर्म में हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कलाई के स्पिनरों की एक खासियत यह भी है कि उन्हें पिच से ज्यादा मतलब नहीं होता। जहां फिंगर स्पिनर सिर्फ टर्निंग पिच पर ही आक्रमक होते हैं वहीं कलाई के स्पिनर किसी भी पिच पर खतरनाक होते हैं।

सिंह ने कलाई के स्पिनरों की खासियत और उपयोगिता पर चर्चा करते हुए कहते हैं कि आज खेल काफी बदल गया है। टी-20 के आने से बल्लेबाज काफी आक्रमक हो गए हैं। ऐसे में गेंदबाजों और विरोधी टीम के कप्तान की सबसे बड़ी चुनौती एकदिवसीय मैचों के मध्य ओवरों के लिए रन पर अंकुश लगाना और विकेट चटकाना होता है। कलाई के स्पिनर ऐसे मौकों पर काफी फायदेमंद साबित होते हैं। वे रन गति पर लगाम लगाते ही हैं साथ ही एक दो विकेट भी टीम की झोली में डाल देते हैं। उन्होंने दुनिया के अन्य देशों के लिए खेल रहे कलाई के स्पिनरों की सफलता पर भी बात की।उन्होंने कहा कि क्रिकेट खेलने वाले ज्यादातर देशों के पास कलाई के स्पिनर हैं और वे मैच विनर भी हैं। मसलन, अफगानिस्तान के लिए राशिद खान, इंग्लैंड के आदिल राशिद, अफगानिस्तान के ही मुजीब-उर-रहमान और जिंबाब्वे के टीएल चतारा। ये ऐसे गेंदबाज हैं जो गेंदबाजी में कलाई का इस्तेमाल करते हैं और ये सभी अपनी टीम के स्टार हैं। ये किसी भी पिच पर उतनी ही घातक गेंदबाजी करते हैं जितनी टर्निंग पिच पर। उन्होंने कहा कि भारत के पास भी ऐसे ही दो सुपरस्टार हैं। ये दोनों ही विश्व कप में अहम भूमिका निभाएंगे।