2011 वर्ल्ड कप विजेता टीम का हिस्सा रहे ऑलराउंडर युवराज सिंह ने एक पॉडकास्ट शो में अपने करियर से जुड़ा एक अहम राज सार्वजनिक किया है। युवी ने बताया है कि उनके पिता उन्हें हमेशा से ही एक तेज गेंदबाज बनाना चाहते थे, लेकिन बिशन सिंह बेदी के दखल के बाद उन्होंने अपना ध्यान बल्लेबाजी और कुछ स्पिन गेंदबाजी पर लगाना शुरू किया था। युवराज ने यह भी बताया है कि उनके पिता तो उन्हें क्रिकेटर ही नहीं बनाना चाहते थे।
युवराज की विकेटकीपिंग के खिलाफ थे उनके पिता
युवी ने इस पॉडकास्ट शो में यह भी खुलासा किया है कि जब वह बल्लेबाजी और गेंदबाजी पर ध्यान दे रहे थे तो उन्होंने बीच में विकेटकीपिंग पर भी करना शुरू किया था, लेकिन पिता को विकेटकीपिंग पसंद नहीं थी, इसलिए उन्हें वहां से अपना ध्यान हटाना पड़ा। युवराज ने बताया है कि पिता को विकेटकीपिंग पसंद नहीं थी। युवराज ने कहा कि मेरे पिता मेरी विकेटकीपिंग के बिल्कुल खिलाफ थे। वह नहीं चाहते थे कि मैं उन गेंदों को पकड़ूं जो दूसरे फेंकते हैं, वह चाहते थे कि मैं गेंदबाजी करूं।
14 साल की उम्र में हुई थी बड़ी इंजरी
युवराज ने बताया है कि मेरे पिता मुझे फास्ट बॉलर बनाना चाहते थे, लेकिन जब मैं 14 साल का था तो मेरी कमर में फ्रैक्चर आ गया था। इसके बाद मैं बिशन सिंह बेदी सर के ट्रेनिंग कैंप में चला गया। वहां उन्होंने मेरे अंदर गेंदबाज से ज्यादा बल्लेबाज की क्षमता अधिक देखी। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं अपनी बल्लेबाजी को ज्यादा प्राथमिकता दूं और साथ में स्पिन गेंदबाजी पर, यह विचार मेरे पिता को पसंद नहीं आया, लेकिन जब उन्हें मेरी चोट के बारे में पता चला तो उन्होंने कहा कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं है।
धोनी नहीं हैं करीबी दोस्त- युवी
युवराज ने बताया कि पिता जी की सोच एकदम अलग थी। वह चाहते थे कि मैं 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करूं और 1000 विकेट लूं या फिर 10,000 से 20,000 रन बनाऊं। बता दें कि युवी ने इसी पॉडकास्ट शो में एमएस धोनी के साथ अपने रिश्ते पर भी बात की। युवी ने बताया कि धोनी कोई उनके करीबी दोस्त नहीं हैं।