पिछले कुछ साल में भारतीय क्रिकेट टीम के अभ्यास सत्र में कई प्रयोग देखने को मिले हैं। अब वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल (WTC Final) की तैयारी के लिए टीम रंग बिरंगी रबर गेंदों का इस्तेमाल कर रही है, ताकि कैचिंग के दौरान आखिरी मौके पर गेंद के रूख बदलने पर भी कैच लपकने में परेशानी नहीं हो। अभ्यास के दौरान शुभमन गिल को हरी गेंदों से कैच लपकते देखा गया। पीले रंग की भी गेंद थी, लेकिन लॉन टेनिस गेंद नहीं थी जो आम तौर पर विकेटकीपर और करीबी क्षेत्ररक्षकों के अभ्यास के लिए इस्तेमाल की जाती है।

एनसीए के लिए काम कर चुके एक मशहूर फील्डिंग कोच ने बताया,‘‘ ये खास तौर पर बनाई गई रबर गेंदें हैं, वह नहीं जो गली क्रिकेट में इस्तेमाल होती है। इन्हें ‘रिएक्शन बॉल’ कहते हैं और ये इंग्लैंड या न्यूजीलैंड जैसे कुछ खास देशों में अभ्यास के लिए इस्तेमाल की जाती है, जहां ठंडी हवा और ठंडा मौसम होता है।’’

क्यों हो रहा ‘रिएक्शन बॉल’ का इस्तेमाल

हरी गेंद की अहमियत के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा,‘‘ किसी खास रंग का कोई वैज्ञानिक या क्रिकेट को लेकर कारण नहीं है, लेकिन स्लिप के क्षेत्ररक्षकों और विकेटकीपर के लिए रबर की गेंद खास तौर पर कैचिंग के लिए प्रयोग की जाती है। इंग्लैंड एकमात्र देश है और कुछ हद तक न्यूजीलैंड में भी गेंद बल्लेबाज के बल्ले का बाहरी किनारा लेकर रूख बदल लेती है, जिससे कैच लपकना मुश्किल हो जाता है। ड्यूक गेंद और भी डगमगाती है, इसलिए रबर की गेंदों से अभ्यास किया जा रहा है क्योंकि ये अधिक स्विंग लेती हैं या डगमगाती हैं।’’

गेंद की लाइन के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश

फिर उन्होंने समझाया कि इन रबर “रिएक्शन बॉल” का उपयोग प्रशिक्षण के लिए क्यों किया जा रहा है? ‘‘ये गेंदें वजन में हल्की होती हैं और इसलिए यह लड़खड़ाती हैं और अधिक स्विंग होती हैं। गेंद की लाइन के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश होती है। विभिन्न रंगों के गेंद के उपयोग कारण यह है कि अंतिम सेकंड में गेंद दिखाी नहीं देती। विभिन्न रंग के गेंद आपको अंतिम समय तक लाइन पर नजर बनाए रखने में मदद करती है।’’