पिछले साल इसी महीने में भारत के दिग्गज रेसलर बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे थे। उन्होंने रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण सिंह पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि वे जूनियर पहलवानों के लिए कुश्ती को सुरक्षित बनाना चाहते हैं, उनके भविष्य को सुरक्षित रखना चाहते हैं।

हालांकि जिन जूनियर पहलवानों के लिए इन तीनों ने बृजभूषण सिंह से बैर मोल लिया अब वही इन तीनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। पीटीआई की खबर के मुताबिक, सैकड़ों जूनियर पहलवान बुधवार को अपने करियर में एक महत्वपूर्ण साल बर्बाद होने के खिलाफ जंतर मंतर पर जमा हुए। उन्होंने इसके लिये बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट को दोषी ठहराया। उन्होंने साफ कहा कि अगले 10 दिन में रेसलिंग फेडरेशन को बहाल नहीं किया गया तो वे अपने अर्जुन अवॉर्ड वापस कर देंगे।

जंतर-मंतर पहुंचे जूनियर पहलवान

बसों में भरकर जूनियर पहलवान उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के विभिन्न हिस्सों से यहां पहुंचे। इनमें से करीब 300 बागपत के छपरौली के आर्य समाज अखाड़े से थे जबकि कई नरेला की वीरेंद्र कुश्ती अकादमी से भी थे। अभी भी कई बसों में बैठे हैं और जंतर मंतर पर अपने साथी पहलवानों से जुड़ने की तैयारी में हैं। सुरक्षाकर्मियों को उन्हें काबू करने में काफी परेशानी हुई।

बजरंग, साक्षी और विनेश के खिलाफ प्रदर्शन

ये पहलवान बजरंग, साक्षी और विनेश के खिलाफ नारे लगा रहे थे । इन्होंने बैनर पकड़ रखे थे जिस पर लगा था ,‘‘यूडब्ल्यूडब्ल्यू हमारी कुश्ती को इन तीन पहलवानों से बचाओ ।’’ करीब एक साल पहले जंतर मंतर पर ही ये तीनों शीर्ष पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर धरने पर बैठे थे। उस समय किसान समूहों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, राजनेताओं, महिला संगठनों और पहलवानों ने इनका समर्थन किया था।

2023 से ठप्प हैं नेशनल कैंप

अब कुश्ती समुदाय ही इन पहलवानों के खिलाफ खड़ा है और उन पर अपना करियर बर्बाद करने का आरोप लगा रहा है। जनवरी 2023 से राष्ट्रीय शिविर और प्रतिस्पर्धायें ठप पड़ी है। डब्ल्यूएफआई दो बार निलंबित हो चुका है और तदर्थ समिति खेल का संचालन कर रही है । इन प्रदर्शनकारी पहलवानों ने मांग की है कि निलंबित डब्ल्यूएफआई को फिर बहाल किया जाये और तदर्थ समिति को भंग किया जाये।

भाषा इनपुट के साथ