पुणे हुए रेसलिंग ट्रायल्स में कर्नाटक की लीना एंथो सिड्डी भले ही मेडल जीतने से चूक गई लेकिन उनका वहां तक पहुंचना कई लड़कियों के लिए मिसाल है। लीना का परिवार कर्नाटक के उतरा कन्नड़ जिले के हारियल तालुक के जंगलों में रहता है। लीना अफ्रीकन मूल के भारतीय समुदाय सिड्डी का हिस्सा है। यह समुदाय जंगलों में ही रहता है और वहां से बाहर आने में बहुत असहज महसूस करता है।

शादियों में जाकर खाना खाता था परिवार

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में लीना ने बताया कि उनका परिवार खाने के लिए भी दूसरों पर मोहताज होता था लेकिन खेल के कारण उनकी जिंदगी में काफी कुछ बदल गया। लीना ने कहा, ‘मेरे पिता हमें दूसरों की शादियों में ले जाते थे ताकि हमें पेट भर के खाना मिल सके। हम दूसरों की जमीन पर फसल उगाते थे और उसका ज्यादातर हिस्सा जमीन के मालिक को देते थे। इसी कारण पूरे परिवार को खाना खिलाना मुश्किल होता था।’ लीना 11 भाई-बहन है और सबकी जिम्मेदारी पिता पर थी। साइ होसटल में चयन के बाद लीना को पूरी डाइट मिलने लगी।

कुश्ती के कारण देखी जंगलों के बाहर की दुनिया

अपने समुदाय के बारे में बात करते हुए सिड्डी ने कहा, ‘हम सिड्डी समुदाय के लोग आसानी से जंगल से बाहर नहीं निकलते। हमें असहज महसूस होता है। हर कोई हमें अजीब तरीके से देखता है। लेकिन कुश्ती के कारण मैं जंगल के बाहर निकली और दुनिया देखी। मेरी वजह से बाकी लड़कियां भी कुश्ती करने लगी है।’

दंगल से पाला परिवार का पेट

लीना कुश्ती में आने का श्रेय अपने पिता को दिया है। उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता को कबड्डी और कुश्ती पसंद थी लेकिन उन्हें लोकल क्लब में मौका नहीं मिला। जब 2008 और 2012 में सुशील कुमार मेडल लेकर वापस आए तो सभी उनसे प्रेरित हुए। पिता ने तभी फैसला कर लिया कि उनकी अगली औलाद रेसलर बनेगी जो सुशील की तरह ओलंपिक में खेलेगी। इसी कारण जब मैं पांचवीं कक्षा में थी तभी से मेरी ट्रेनिंग शुरू हो गई। मैं तब गांव के दंगल में हिस्सा लेती थी और उसी कमाई से परिवार का पेट भी पालती थी’

सुशील कुमार से मिली प्रेरणा

दंगल में हिस्सा लेकर न सिर्फ लीना को पैसे मिले बल्कि उनके खेल में भी सुधार हुआ। वह यूट्यूब पर सुशील कुमार की वीडियो देखती थीं और उसी तरह कुश्ती करने की कोशिश की। उन्होंने लिखा, ‘मैं पहले सोचती थी कि यहां क्यों आई। लोग मुझे ताने मारते थे। फिर मेरे कोच ने समझाया कि कोई कुछ भी कहे तुम मत सुनो। बस लड़ो और जीतो। मैं खेल से नौकरी हासिल करती हूं। ‘