शनिवार यानी 23 जनवरी 2021 को नेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप में कोरोना से बचाव के लिए बनाए गए नियम तार-तार होते दिखे। कोविड-19 महामारी के बीच कुश्ती पहला ओलंपिक खेल है, जिसकी राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन हुआ। हालांकि, चैंपियनशिप में नियमों की धज्जियां उड़ती दिखीं। सोशल डिस्टेंसिंग नाम की चीज गायब थी, कहीं बंद स्टैंड नहीं थे। कुछ लोगों को छोड़कर ज्यादातर ने मास्क नहीं पहना था यहां तक रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) के प्रेसीडेंट ब्रज भूषण शरण सिंह तक ने मास्क नहीं पहन रखा था।
खेल मंत्रालय ने 26 दिसंबर 2020 को कोविड-19 महामारी के बीच प्रतियोगिताओं के आयोजन के लिए आठ पेज का एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स (Standard Operating Procedures यानी मानक संचालन प्रक्रिया) जारी किया था। उसमें यह रेखांकित किया गया था कि इवेंट्स (खेल प्रतियोगिताओं) के आयोजन में गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन होना चाहिए। सरकार ने कहा था कि आयोजकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे। इसके लिए 6-6 फीट पर विशिष्ट चिह्न बनाए जाएं। सपोर्ट स्टाफ की मौजूदगी सीमित रहे। वेंटिलेशन सुनिश्चित किया जाए और जगह-जगह पर फेस कवर्स, मास्क, ग्लव्ज और सेनेटाइजर उपलब्ध रहे। साथ ही क्षमता से आधे दर्शक ही स्टेडियम में मौजूद होने चाहिए।
हालांकि, नेशनल चैंपियनशिप का नजारा अलग ही था। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, नोएडा स्टेडियम के इंडोर एरिना में पुरुष फ्रीस्टाइल चैंपियनशिप को देखने के लिए सैकड़ों दर्शक पहुंचे हुए थे। वहां सिर्फ कुछ ही लोग मास्क लगाए दिखे। लोग आराम से घूम रहे थे। दर्शक मुकाबले से पहले और बाद में खिलाड़ियों से मिल रहे थे। सेल्फी ले रहे थे। कहीं-कहीं तो एक साथ खाना खाते भी देखे गए। इस चैंपियनशिप में 252 पहलवान हिस्सा ले रहे हैं।
एक समय तो रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह को भी उन्हें (लोगों को) खदेड़ना पड़ा। हालांकि, हास्यास्पद यह था कि वह खुद मास्क नहीं पहने हुए थे। यही नहीं, डॉयस पर सभी पदाधिकारी बिल्कुल करीब-करीब बैठे हुए थे। डब्ल्यूएफआई के एक पदाधिकारी ने बताया कि उन्होंने भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की लेकिन आदेशों की अवहेलना की गई। पदाधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने हमारी बात नहीं मानी। स्टैंड में कुर्सियां नहीं होने से हमारे लिए बैठने की वैकल्पिक व्यवस्था करना संभव नहीं था। इसके बजाय दर्शक सीढ़ियों पर बैठ गए थे।’