रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पिछले 8 दिनों से चल रहा पहलवानों का धरना सवालों के घेरे में है। पहलवानों के धरने पर जो सबसे बड़ा सवाल उठाया जा रहा है वो यह है कि जब बृजभूषण शरण सिंह कई सालों से महिला पहलवानों का यौन शोषण कर रहे थे तो महिला पहलवानों ने उस वक्त यौन शोषण के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाई? और इतने सालों बाद महिला पहलवानों के अंदर एकदम से आवाज उठाने की हिम्मत कैसे आई?
विनेश फोगाट ने मां के संघर्ष को देख लिया यह फैसला
महिला रेसलर विनेश फोगाट ने इस सवाल का जवाब इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में दिया है। विनेश फोगाट ने बताया है कि उनके अंदर इस अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत उनकी मां के संघर्ष को देखकर आई थी। विनेश ने बताया कि उन्होंने अपनी मां को अपने जवानी के दिनों से संघर्ष करते हुए देखा है, 32 साल की उम्र में मेरी मां विधवा हो गई थी और तभी से उनका संघर्ष जारी है। हम मां के संघर्ष को ही देखकर बड़े हुए हैं और उन्हें ही देखकर मेरे अंदर आवाज उठाने की हिम्मत जागी।
मां ने समाज से लड़कर हमें बनाया पहलवान- विनेश
विनेश फोगाट ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मुझे मेरी मां से हिम्मत मिली है। हम दोनों का रिश्ता दोस्तों के बंधन से भी ज्यादा मजबूत है, हम एक-दूसरे से सबकुछ शेयर करते हैं। मुझे यह सोचकर बहुत दुख होता है कि मेरी मां ने मेरे लिए बहुत दुख झेले हैं। मां के संघर्ष में हमें पता ही नहीं चला कि हम कब बड़े हो गए। 32 साल की उम्र में विधवा होने के बाद मां को कैंसर हो गया था। कीमोथेरेपी के लिए मां रोहतक चली गई। समाज से लड़-लड़कर मेरी मां मुझे इतना बड़ा पहलवान बना सकती है तो हम भी सच को साबित करने के लिए इतना संघर्ष तो कर रही सकते हैं।
मैं नहीं बोलती तो मां का संघर्ष बेकार चला जाता- विनेश
विनेश फोगाट ने आगे कहा कि अगर हम आज नहीं बोलते तो मेरी मां का संघर्ष बेकार चला जाता और अगर हम इस लड़ाई को जीत जाते हैं तो मेरी मां गर्व से कहेगी कि मैंने विनेश को जन्म दिया है। विनेश ने आगे कहा कि मेरे अंदर मेरी मां की छवि है, वो भी इसी ताकत और चरित्र की मूर्ति है, मेरे पिता जी भी ऐसे ही थे।