- 2019 में मुझे बताया गया कि मुझे टाटा से (स्पॉन्सरशिप डील के) से मिले धन से हर महीने एक लाख रुपए दिए जाएंगे। उसके बाद मुझे 5.5 लाख रुपए का चेक मिला। बाद में 2021 में 4.5 लाख रुपए का चेक मिला। मुझे लगभग 10 लाख रुपए मिले।’ – टोक्यो ओलंपिक के रजत पदक विजेता रवि दहिया।
- ‘मैं ग्रेड बी में थी और अनुबंध के अनुसार हर साल 25 लाख रुपए की हकदार थी। अब तक मुझे लगभग 5.25 रुपये के दो चेक मिले हैं।’ 2018 विश्व चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता पूजा ढांडा।
- ‘मुझे हर महीने 1 लाख रुपए देने का वादा किया गया था, लेकिन मुझे एकमुश्त 6 लाख रुपए मिले और कहा गया कि बाकी पैसे बाद में मिलेंगे।’ 2019 विश्व चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता दीपक पूनिया।
ये सरकार द्वारा नियुक्त ओवरसाइट कमेटी के सामने पेश होने वाले कुछ पहलवानों की गवाहियों के अंश हैं। पूरी रिपोर्ट का जिक्र दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में है। रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) ने 2018 में भारतीय पहलवानों के लिए वार्षिक केंद्रीय अनुबंध की घोषणा की थी। उसी साल टाटा मोटर्स प्रमुख स्पॉन्सर के रूप में डब्ल्यूएफआई से जुड़ी।
हर पहलवान ने कहा- बृजभूषण सिंह के WFI ने झूठे वादे किए
रवि दहिया, पूजा ढांडा और दीपक पूनिया की तरह सुनवाई के लिए पेश हर पहलवान ने कहा कि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) की ओर से झूठे वादे किए गए। बकाया राशि नहीं दी गई और पहलवानों ने अस्तिवहीन कॉन्ट्रैक्ट की ओर भी इशारा किया। गवाहों में से एक ने निगरानी समिति से कहा कि उसे आश्चर्य है कि स्पॉन्शरशिप की राशि कहां चली गई।
यौन उत्पीड़न मामले में भी निगरानी समिति ने साध ली थी चुप्पी
हालांकि, एमसी मैरीकॉम की अगुआई वाली समिति ने बृजभूषण सिंह की अगुआई वाले रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया पर कोई अंगुली नहीं उठाई और सक्षम अधिकारियों से जांच या ऑडिट की सिफारिश नहीं की। निगरानी समिति ने यौन उत्पीड़न के आरोपों पर भी ऐसा ही रवैया अपनाया था।
इसके बजाय निगरानी समिति ने केवल यह सुझाव दिया कि डब्ल्यूएफआई को अनुबंध प्रबंधन में विशेषज्ञों की सेवाओं का इस्तेमाल करे, हितधारकों के साथ स्पष्ट कम्युनिकेशन रखे और जो भी अनुबंध किया है उसका उचित रिकॉर्ड बनाए रखने की सलाह दी।
जब सरकार ने जनवरी में निगरानी समिति नियुक्त की थी तो उसने सदस्यों को यौन उत्पीड़न के आरोपों के अलावा पहलवानों की ओर से लगाए गए वित्तीय कुप्रबंधन के आरोपों पर भी गौर करने का काम सौंपा था।
‘Breach of Players Contract’ शीर्षक वाले संक्षिप्त विवरण में समिति ने कहा है, ‘विभिन्न खिलाड़ियों ने अपने बयान के दौरान बताया कि उनका टाटा मोटर्स के साथ एक अनुबंध था। टाटा मोटर्स डब्ल्यूएफआई का प्रमुख स्पॉन्सर है। अनुबंध में खिलाड़ियों से वादा किया गया था कि हर खिलाड़ी को डब्ल्यूएफआई की ओर से तैयार किए गए ग्रेडिंग सिस्टम के आधार पर स्पॉन्सरशिप राशि दी जाएगी। डब्ल्यूएफआई की ओर से दिए गए विभिन्न दस्तावेजों की जांच में यह सामने आया कि अनुबंध में ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया था।’
हालांकि, जब एथलीट्स ने मांग की थी कि अगर उन्हें प्रायोजक के लोगो वाला सिंगग्लिट (कुश्ती के दौरान पहलवान द्वारा पहना जाने वाला वस्त्र) पहनना है तो उन्हें स्पॉन्सरशिप राशि से भुगतान किया जाना चाहिए तब डब्ल्यूएफआई के कमर्शियल पार्टनर्स ने नया अनुबंध तैयार किया था।
बृजभूषण शरण सिंह ने इस संबंध में निगरानी समिति को बताया कि नया प्रायोजक मिलने के उत्साह में खिलाड़ियों के लिए पेड कॉन्ट्रैक्ट्स की घोषणा कर दी गई थी, लेकिन वह कभी साकार नहीं हुआ।
