Wrestlers in Supreme Court: बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पहलवानों की ओर से दायर याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी। हालांकि, पहलवानों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट में केस बंद होने पर दिल्ली पुलिस मामले में हीलाहवाली करने लगेगी। उन्होंने मामले की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के किसी पूर्व न्यायाधीश से कराने की मांगी की। इस पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ सिंह ने कहा, यदि आप मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश से असंतुष्ट हैं तो आप दिल्ली हाई कोर्ट का का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
नाबालिग शिकायतकर्ता को दी गई है सुरक्षा
इससे पहले दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, ‘आखिरी आदेश सुरक्षा को लेकर था। जैसा कि हमने पैरा 4 में बताया है कि सादे कपड़ों में नाबालिग शिकायतकर्ता को 24X7 उचित सुरक्षा प्रदान की गई है। नाबालिग के पिता को सुरक्षाकर्मियों के मोबाइल नंबर साझा किए गए हैं। हमने सभी याचिकाकर्ताओं का व्यक्तिगत मूल्यांकन किया है। कोई खतरा नहीं है। हम प्रदर्शन कर रहे पहलवानों को सुरक्षा देने पर भी सहमत हैं। जंतर मंतर पर तीन सशस्त्र पुलिसकर्मी तैनात हैं। वे चौबीसों घंटे हैं और सभी छह की सुरक्षा कर रहे हैं।’
बृजभूषण शरण सिंह की ओर से पेश हुए हरीश साल्वे
रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की ओर से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे पेश हुए। उन्होंने कहा, ‘मेरे मुवक्किल पर आरोप लगाए जा रहे हैं और वह कोई पक्षकार भी नहीं है। यदि दिशा-निर्देश पारित किए जाते हैं तो मैं भी सुनना चाहूंगा।’
SG तुषार मेहता ने कहा, ‘जांच चल रही है और हमने एक सीलबंद लिफाफा दाखिल किया है जिसे हमने दूसरे पक्ष के साथ भी साझा किया है।’ इसके बाद CJI डीवाई चंद्रचूड़ सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ विचार-विमर्श करती है। सीजेआई कहते हैं, ‘हलफनामे के पैरा 15 में क्या है? धारा 163 और 164 के तहत बयान दर्ज।
कौन पहले गवाही देगा यह हम पर छोड़ दें: SG तुषार मेहता
SG तुषार मेहता जवाब देते हैं, ‘हम धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट से समय मांगेंगे…। कौन पहले गवाही देगा इसका कालक्रम हम पर छोड़ दें..। हम तटस्थ और निष्पक्ष हैं… लेकिन कालक्रम को भी यहां नहीं लाया जा सकता।’ सीजेआई ने पूछा, ‘अब तक किसकी जांच हुई?’
सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया, ‘हम शिकायत से चिंतित हैं। हमने शिकायतकर्ताओं से पूछताछ की है। यह काम वरिष्ठ महिला अधिकारियों की एक टीम कर रही है। जो नजर आता है उससे बढ़कर भी कुछ है।’ CJI ने कहा, ‘हमें केवल इस बात से मतलब है कि जांच हो रही है या नहीं?’ इस पर एसजी बोले- ‘Correct correct.’
पहलवानों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंदर हुड्डा ने दलील दी, ‘शिकायतकर्ता जब शिकायत दर्ज कराने गए थे तो उन्होंने तीन घंटे तक बैठाए रखा गया और उसके बाद रसीद दी गई।’ SG तुषार मेहता ने कहा, ‘हर चीज की वीडियोग्राफी की गई है…। वे 7 शिकायतकर्ता थे और वह (एफआईआर दर्ज करने वाला पुलिसकर्मी) उन्हें पढ़ रहा था।’
पहलवानों के वकील कहते हैं, ‘नाबालिग को फोन कर तीन घंटे तक पूछताछ की गई…। धारा 160 का नोटिस भी नहीं था।’ SG तुषार मेहता ने कहा, ‘उनके बैठने का स्थान देखें। वकीलों का कार्यालय था। पहलवानों के वकील ने कहा, ‘धारा 164 के तहत भी कुछ नहीं हुआ…। कल दोपहर के करीब बयान दर्ज कराने का नोटिस लेकर आए थे जो अब तक नहीं हुआ…।’
वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंदर हुड्डा ने कहा, ‘आरोपी टीवी स्टार बन गया है…। वह सभी शिकायतकर्ताओं का नाम ले रहा है और वे अखाड़ों से हैं.. और प्रभावशाली हैं। वह कहता है कि उसने सिर्फ उन्हें गले लगाया… और कुछ नहीं हुआ.. यह सब रिकॉर्ड में है।’
CJI ने कहा, ‘आप चाहते थे कि FIR दर्ज हो.. वह हो गई। धारा 161 का बयान कल दर्ज हो गया..। पहलवानों के वकील ने कहा, ‘टीवी पर आरोपी का कहना है कि दिल्ली पुलिस ने मुझसे संपर्क नहीं किया है..। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की पहचान सुरक्षित रखनी है और वह टीवी पर लड़कियों का नाम ले रहा है।’
सीजेआई – याचिका डालने वाले तीनों खिलाड़ियों ने बताया कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 25 अप्रैल को नोटिस जारी किया गया और फिर 28 अप्रैल को एफआईआर दर्ज की गई। हमारे सामने केस रखा गया अब हम उसकी सुनवाई बंद कर रहे हैं। ‘
पहलवानों के वकील नरेंदर हुड्डा ने कहा, ‘मुझे यकीन है कि जैसे ही केस खत्म होगा, दिल्ली पुलिस अपने हाथ खींच लेगी। इस केस पर कोर्ट के पूर्व जज द्वारा करीब से नजर रखने की जरूरत है।
सीजेआई ने आगे कहा, ‘यदि आप मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश से असंतुष्ट हैं तो आप दिल्ली हाई कोर्ट का का दरवाजा खटखटा सकते हैं’.’