वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप को शुरू हुए छह दिन हो चुके हैं लेकिन भारत के लिए इस चैंपियनशिप से खुशखबरी बुधवार को आई। बुडापेस्ट में भारतीय लॉन्ग जंप खिलाड़ी जेस्विन एल्ड्रिन और 3000 मीटर स्टेपलचेज में पारुल चौधरी ने फाइनल में जगह बनाई। इससे पहले कोई भी भारतीय इस साल फाइनल में नहीं पहुंच सका था।
एल्ड्रिन ने फाइनल में बनाई जगह
एथलीट जेस्विन एल्ड्रिन ने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप फाइनल के लिए क्वालिफाई किया लेकिन उनके साथी मुरली श्रीशंकर खराब प्रदर्शन के बाद क्वालीफिकेशन दौर से बाहर हो गये। जैवलिन एथलीट एथलीट अनु रानी 57.05 मीटर के प्रयास से सत्र का अपना दूसरा खराब प्रदर्शन करते हुए क्वालीफिकेशन दौर से बाहर हो गयीं। वह ग्रुप ए में 11वें स्थान और कुल 19वें स्थान पर रहीं।
मुरली श्रीशंकर ने किया निराश
एल्ड्रिन (21 वर्ष) ने अपने पहले प्रयास में 8.0 मीटर की कूद लगायी लेकिन अगले दो प्रयासों में ‘फाउल’कर गए। यह प्रदर्शन उन्हें गुरुवार को होने वाले 12 खिलाड़ियों के फाइनल में पहुंचाने के लिए काफी था। फाइनल्स में वही एथलीट पहुंचते हैं जो 8.15 मीटर की जंप लगाते हैं या फिर दो क्वालीफिकेशन ग्रुप के शीर्ष 12 पर रहते हैं। मार्च में 8.42 मीटर के राष्ट्रीय रिकॉर्ड से सत्र के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले एथलीट के तौर पर उतरे एल्ड्रिन ग्रुप बी क्वालीफिकेशन दौर में छठे स्थान पर रहे और वह दोनों ग्रुप में सर्वश्रेष्ठ 12वें एथलीट के तौर पर अंतिम क्वालीफायर के रूप में फाइनल्स में पहुंचे।
बुधवार को वह विश्व चैम्पियनशिप में श्रीशंकर के बाद लंबी कूद के फाइनल्स में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय पुरुष एथलीट बने। श्रीशंकर ने 7.74 मीटर, 7.66 मीटर और 6.70 मीटर के निराशाजनक प्रयास किये। वह ग्रुप ए क्वालीफिकेशन में 12वें स्थान से कुल 22वें स्थान पर रहे।
पारुल ने किया हैरान
28 साल की पारुल ने भी फाइनल राउंड में जगह बनाई। पारुल ने नौ मिनट 24.29 सेकंड का समय निकाला और वह अपनी हीट में पांचवें नंबर पर रही। इस इवेंट के तीनों हीट्स के टॉप पांच खिलाड़ी फाइनल में पहुंचने वाले थे। यह प्रदर्शन पारुल का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। इससे पहले उन्होंने इसी साल मई में 9:29.51 का समय निकाला था। पारुल से पहले केवल ललिता बाबर वर्ल्ड चैंपियनशिप में इस इवेंट के फाइनल में जगह बनाने वाली इकलौती भारतीय महिला खिलाड़ी थीं।
अन्नु रानी पर उठे सवाल
30 साल की अनु रानी का निराशाजनक प्रदर्शन सवाल खड़े कर सकता है कि उन्हें विश्व चैम्पियनशिप में भेजा ही क्यों गया। उन्होंने विश्व रैंकिंग कोटे के आधार पर प्रवेश किया था क्योंकि वह इस सत्र में विश्व चैम्पियनशिप से पहले चार टूर्नामेंट में एक में भी 60 मीटर का थ्रो नहीं कर पायी थीं। उन्होंने छह अगस्त को जर्मनी में हुई एक प्रतियोगिता में 54.76 मीटर का थ्रो फेंका था। वह जुलाई में 59.10 मीटर के प्रयास से चौथे स्थान पर रही थीं। भारतीय खिलाड़ियों ने यहां विश्व चैम्पियनशिप में अभी तक निराशाजनक प्रदर्शन किया है।