आत्माराम भाटी

देश व दुनिया में किसी भी पुरस्कार को दिए जाने पर बवाल होना आजकल आम बात हो गई है। जिस को नहीं मिलता वे और उसके समर्थक उस पुरस्कार के चयनकर्ताओं और चयन के मापदंड पर उंगली उठाकर अंतहीन बहस शुरू कर देते हैं। ऐसे प्रमाण हमें किसी एक क्षेत्र में नहीं बल्कि साहित्य, समाजसेवा, खेल व विज्ञान के क्षेत्र में दिए जाने वाले किसी भी पुरस्कार में मिल जाते हैं।

नवंबर माह के अंतिम दिन अर्जेंटीना और फुटबॉल क्लब पीएसजी के स्ट्राइकर लियोनेल मेसी को फुटबाल की दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तिगत फुटबाल अवॉर्ड बैलेन डि ओर बतौर सर्वश्रेष्ठ फुटबालर के रूप में दिया गया तो इसकी दौड़ में शामिल पुर्तगाल व मैनचेस्टर सिटी के प्रमुख खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो व जर्मनी व रियाल मैड्रिड के मिडफिल्डर टोनी क्रूज व जर्मन मीडिया ने सार्वजनिक रूप से मेसी को दिए इस अवार्ड पर अपना मत रखते हुए बवाल पैदा कर दिया।

रोनाल्डो ने कहा कि लियोनेल मेसी ने पोलैंड व बायर्न म्यूनिख के स्ट्राइकर रॉबर्ट लेवानडोस्की और उनसे बैलेन डि ओर अवार्ड चुराया है। रोनाल्डो के एक प्रशंसक के खाते किस्टियानो रोनाल्डो-द लीजेंडरी जिसे रोनाल्डो भी फालो करते हैं पर भी मैसी को मिले अवार्ड पर एक टिप्पणी मेसी को अवार्ड मिलना खेदजनक है लिखा गया।

वहीं रियाल मैड्रिड के टोनी क्रूज ने कहा कि मेसी को फुटबाल के सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत अवार्ड से सम्मानित करने का निर्णय उचित नहीं है। इस बार यह अवार्ड रियाल मैड्रिड के करीम बेंजेमा को दिया जाना चाहिए था। जर्मन मीडिया ने तो इस साल मेसी को अवार्ड दिए जाने पर इसे स्कैंडल करार देते हुए लिखा कि लेवानडोस्की को धोखा दिया गया है।

अगर आंकड़ों के मद्देनजर देखा जाए तो मेसी को 7वंीं बार मिले अवार्ड पर हंगामा मचना स्वाभाविक भी है। फुटबाल प्रेमी व खिलाड़ी इस बात से हैरान और परेशान है कि पिछले सीजन में मेसी से ज्यादा बेहतरीन प्रदर्शन लेवानडोस्की का रहा, फिर भी मेसी को क्यों चुना गया। ऐसे में मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि इस जूरी ने किस आधार पर मेसी को सबसे ज्यादा अंक दिए।

इसमें कोई दो राय नहीं कि अवार्ड के चयन के लिए जो प्रक्रिया है उस पर किसी को शक नहीं है। क्योंकि अवार्ड देने वाली फ्रांस की मैगजीन फ्रांस फुटबाल की संपादकीय टीम इस अवार्ड के लिए श्रेष्ठ खिलाड़ी का चयन करने के लिए जूरी बनाती है उनमें 30 अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों व फुटबाल खेलने वाले देशों के पत्रकारों को शामिल किया जाता है। जो सभी खिलाड़ियों में से अपनी नजर में प्रदर्शन के आधार पर श्रेष्ठ खिलाड़ी को 5 अंक, दूसरे को 4 अंक, तीसरे को 3 अंक, चौथे को 2 अंक व पांचवें को 1 अंक देती है। फिर हर सदस्य द्वारा दिए गये अंकों को जोड़कर जिस खिलाड़ी को सबसे ज्यादा अंक मिलते हैं, उसे विजेता माना जाता है।

लेकिन संशय इसलिए पैदा हुआ क्योंकि पिछले सीजन में आंकड़ों के अनुसार पोलैंड के लेवानडोस्की का दावा मजबूत था। लेवानडोस्की का प्रदर्शन इस अवॉर्ड के 6 बार के विजेता मेसी और 5 बार के विजेता रोनाल्डो से कहीं ज्यादा बेहतरीन रहा था। लेवानडोस्की ने 54 मैच में 64 गोल, 9 असिस्ट व 2 खिताब जिताए। वहीं मेसी ने 56 मैचों में मात्र 41 गोल 17 असिस्ट व 2 खिताब तथा रोनाल्डो ने 60 मैचों में मात्र 43 गोल, 6 असिस्ट व 1 खिताब दिलाए। लेकिन चयनकर्ताओं ने फिर भी लियोनेल मेसी को किस आधार पर 613 अंक दे कर सर्वश्रेष्ठ चुना यह समझ से परे रहा। जबकि लेवानडोस्की को 580 अंक से दूसरे, चेल्सी के जोर्जिन्हो को 460 अंक से तीसरे, रियाल मैड्रिड के करीम बेंजेमा को 239 अंक से चौथे व रोनाल्डो को 435 अंक के साथ छठे नंबर पर रखा।

जब चयन कमेटी ने मेसी को चुन ही लिया तो रोनाल्डो जैसे खिलाड़ी के लिए बवाल पैदा करना कतई सही कदम नहीं कहा जा सकता। रोनाल्डो जिन्हें भी पांच बार यह अवार्ड दिया जा चुका है व जिन्होंने ने भी विवाद पैदा करने की कोशिश की है उनको खेल भावना का परिचय देना चाहिए था। जिससे दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित इस अवार्ड के छवि खेल प्रेमियों के सामने खराब नहीं होती।

संभवतया अवार्ड के लिए विजेता चुनने वाली 30 खिलाड़ियों व पत्रकारों की जूरी को पिछले सीजन में 41 गोल करने वाले व अर्जेंटीना को कोपा अमेरिका का खिताब दिलाने वाले मेसी इसलिए भी पहली पसंद बन गए होंगे कि लेवोनडोस्की की बजाय मेसी भले ही आंकड़ों में उनसे पीछे रहे लेकिन लोगों के दिलों में मैदान में शानदार प्रदर्शन से जो रोमांच पैदा किया हुआ है वह लेवोनडोस्की अभी तक नहीं कर पाए हैं। यही कारण नजर आ रहा है कि मेसी रोनाल्डो, लेवोनडोस्की व करीब बेंजेमा को पछाड़कर सातवीं बार इस अवार्ड के जीतने में कामयाब रहे।