दलीप ट्रॉफी में शुक्रवार (29 अगस्त) को जम्मू-कश्मीर के तेज गेंदबाज आकिब नबी ने चार गेंदों में चार विकेट लेकर इतिहास रच दिया। दलीप ट्रॉफी में पहली बार ऐसा हुआ कि किसी गेंदबाज ने 4 गेंद पर 4 विकेट लिए। ईस्ट जोन के खिलाफ नॉर्थ जोन की ओर से खेलते हुए नबी ने 53वें ओवर की आखिरी तीन गेंदों पर विराट सिंह, मनीषी और मुख्तार हुसैन को आउट किया। 405 रन के जवाब में ईस्ट जोन का स्कोर 8 विकेट पर 222 रन हो गया।
जम्मू-कश्मीर के बारामुल्ला के 28 साल के तेजे गेंदबाज ने 55वें ओवर की पहली गेंद पर सूरज सिंधू जायसवाल को आउट करके 4 गेंद पर 4 विकेट ले लिए। उन्होंने 10.1 ओवर में 28 रन देकर 5 विकेट लिए ईस्ट जोन 230 सिमट गया। नबी इस टूर्नामेंट में हैट्रिक लेने वाले सिर्फ तीसरे खिलाड़ी हैं। कपिल देव ने 1979 के दलीप ट्रॉफी फाइनल में वेस्ट जोन के खिलाफ 65 रन देकर 7 विकेट चटकाकर यह उपलब्धि हासिल की थी। 2001 में लेग स्पिनर साईराज बहुतुले ने भी तीन गेंद पर तीन विकेट चटकाए थे, जिससे वेस्ट जोन ने ईस्ट जोन के खिलाफ एक पारी और 363 रनों से बड़ी जीत हासिल की थी।
आकिब नबी कौन हैं?
दाएं हाथ के मध्यम तेज गेंदबाज ने 2020 में जम्मू-कश्मीर के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू किया और कर्नाटक के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में 35 रन देकर 3 विकेट चटकाकर धूम मचा दी। दूसरी पारी में विकेट न ले पाने के बावजूद वह अपनी टीम के सबसे किफायती गेंदबाज रहे। उस सीजन में, नबी ने केवल सात मैचों में 18.50 के औसत से 24 विकेट लिए। इसमें दो बार पांच विकेट भी शामिल थे। नबी 4 गेंद पर 4 विकेट लेने वाले चौथे भारतीय खिलाड़ी बने।
नबी दो साल से ज्यादा समय तक प्रथम श्रेणी मैच नहीं खेले
नबी दो साल से ज्यादा समय तक कोई और प्रथम श्रेणी मैच नहीं खेले और ऐसा लग रहा था कि उनका करियर थम सा गया है, लेकिन पिछले सीजन में 9 मैचों में 13.08 की औसत से 49 विकेट लेकर वह फिर से सुर्खियों में आ गए। दलीप ट्रॉफी से पहले नबी ने 29 प्रथम श्रेणी मैच खेले थे। इसमें उन्होंने 22.12 के औसत से 90 विकेट लिए। इसमें आठ बार पांच विकेट भी शामिल थे। उन्होंने 29 अगस्त को नौवीं बार 5 विकेट लिया।
सरकारी स्कूल के मास्टर के बेटे हैं नबी
ईएसपीएनक्रिकइंफो के अनुसार नबी कश्मीर के बारामूला से हैं। उनके पिता एक सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं और उनके सबसे बड़े समर्थकों में से एक हैं। लेकिन बारामूला में क्रिकेट के लिए सुविधाएं लगभग न के बराबर हैं। उनके घर से सबसे नजदीकी मैदान श्रीनगर में है, जो काफी दूर है। क्या इस वजह से उन्हें बचपन में कभी कोई रुकावट आई? वे कहते हैं, “जब आपका गोल इंडिया के लिए खेलना हो, तो ये सब मैटर नहीं करता। आपके पास संसाधन सीमित हों, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आपको उनका इस्तेमाल करना ही होगा। आप बहाने नहीं बना सकते। अगर आप अपने देश के लिए खेलना चाहते हैं, तो आपको लगातार सुधार करते रहना होगा। और यही मेरा लक्ष्य है… इंडिया की सफेद जर्सी पहनना।”
