भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कोच अनिल कुंबले 1990 से 2008 तक भारतीय टीम के साथ एक खिलाड़ी के रूप में जुड़े रहे। अपने 18 साल के करियर में कुंबले ने 132 टेस्‍ट और 271 वनडे खेले। विश्‍व में सबसे ज्‍यादा टेस्‍ट विकेट लेने वालों की सूची में कुंबले तीसरे और भारत में पहले स्‍थान पर हैं। गेंदबाजी के साथ-साथ कुंबले अपनी ठीक-ठाक बल्लेबाजी के लिए भी जाने जाते रहे हैं। 118 टेस्‍ट मैच खेलने के बाद कुंबले ने अपना पहला शतक जड़ा था। 1996 में होने वाले टाइटन कप सीरीज के दौरान कुंबले ने कुछ ऐसा कर दिखाया था जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। कुंबले ने अपने बल्लेबाजी के दम पर भारत को मैच जिताकर फाइनल में प्रवेश कराया था। दरअसल, इस सेमिफाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 7 विकेट पर 215 रन बनाए थे।

इसके बादऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने महज 164 रनों पर ही भारत के 8 बल्लेबाजों को आउट कर दिया। जीत के लिए 52 रनों की जरूरत थी और कोई भी खिलाड़ी मैदान पर संभल कर नहीं खेल पा रहा था। ऐसे में जवागल श्रीनाथ और अनिल कुंबले क्रीज पर मौजूद थे और भारतीय फैंस मैच जीतने की उम्मीद हार चुके थे। लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के होश उड़ा दिए।

जहां दूसरे बल्लेबाजों को खेलने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। वहीं जवागल श्रीनाथ और अनिल कुंबले निडर होकर हर बॉल पर शॉट लगा रहे थे। खासतौर पर कुंबले हर वो क्रिकेटिंग शॉट खेल रहे थे जो एक बल्लेबाज खेलना पसंद करता है। देखते ही देखते दोनों ने दो ओवर पहले ही भारत को दो विकेट से मैच जिताकर फाइनल में पहुंचा दिया। कुंबले के लिए ये मैच काफी यादगार है क्योंकि उनकी मां वहां मौजूद थी। जब भी कुंबले कोई गलत शॉट खेलते तो उनकी मां डर के मारे स्टैंड में खड़ी हो जाती।